( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
कोटद्वार। राजनीती में चुनाव से पहले प्रेशर पॉलिटिक्स जबरदस्त हावी होती है और इस बार भी वही हो रहा है। इस सियासी खेल में भाजपा सरकार के दो मंत्री जहा आमने सामने है वही मेडिकल कॉलेज के नाम पर सरकार ने भगवानपुर विधायक ममता राकेश को नियमो का हवाला देकर उनकी मांग को ख़ारिज कर दिया है। ऐसे में हरक सिंह रावत की मांग कितनी जायज और किसी हद थक सरकार कैसे पूरा कराती है। यह आने वाला वक्त ही बताएगा।
जबकि कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज की मांग को लेकर मंत्री हरक सिंह रावत नाराज दिख रहे हैं। अब सवाल ये है कि कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज एक बहाना है या सियासत में ये राजनीति चमकाने का एक नया खेल है।
कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज की मांग को लेकर भले ही मंत्री हरक सिंह रावत ने बगावती सुर दिखाए हों, लेकिन असल में मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नॉर्म्स के मुताबिक एक जिले में एक ही मेडिकल कॉलेज हो सकता है। जोकि पहले से ही पौड़ी जिले में श्रीनगर मेडिकल कॉलेज का होना कोटद्वार में भी मेडिकल कॉलेज की संभावनाओं को हल्का कर रहा था, मगर उसके बावजूद हरक सिंह रावत के तल्ख तेवर पार्टी की अंदरुनी कलह को दिखा गए। हालांकि दिनभर संगठन से लेकर मंत्री तक ऑल इज वेल का ही राग अलापते रहे।

वैसे मेडिकल कॉलेज की आड़ में सियासत नई नहीं है। कांग्रेस सरकार के समय में विधायक सुरेद्र राकेश भी भगवानपुर में मेडिकल कॉलेज की मांग करते रहे, मगर वो भी अधर में रहा। वही इस बार सदन में कांग्रेस विधायक व सुरेंद्र राकेश की पत्नी ममता राकेश ने भी यही मुद्दा उठाया तो सरकार ने उसे नियमों का हवाला देकर खारिज़ किया। अब विपक्ष इसी पर सरकार को घेर रहा है।
अब सरकार भले ही सोमवार तक कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज के लिए 5 करोड़ के बाद और धनराशि जारी करने की बात कह रही हो, लेकिन एन चुनाव से पहले क्या मेडिकल कॉलेज की बात करना बेमानी नहीं होगा या सिर्फ पत्थर लगाकर शिलान्यास करते हुए ही वोटबैंक की राजनीति होगी।

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