* बदल गया जम्मू-कश्मीर का पॉलिटिकल मैप।
* परिसीमन आयोग ने 7 सीटें बढ़ाने का दिया प्रस्ताव।
* कश्मीरी पंडितों के लिए 2 सीटें होंगी रिजर्व
( सुनील तनेजा )
नई दिल्ली / जम्मू कश्मीर। परिसीमन आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर के लिए कुल 7 सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रस्ताव के अमल में आने के बाद जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो जाएगी। जस्टिस (रि.) रंजना देसाई की अध्यक्षता में जम्मू-कश्मीर पर गठित तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग ने गुरुवार को इस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर दिया है। परिसीमन आयोग का कार्यकाल शुक्रवार यानी कि 6 मई को समाप्त हो रहा था। इसके अलावा आयोग ने कश्मीरी पंडितों के लिए भी विधानसभा में 2 सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव दिया है। अब इस आदेश की एक प्रति और रिपोर्ट सरकार के पास भेजी जाएगी। इस रिपोर्ट में निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या, उनका क्षेत्र, आकार और जनसंख्या आदि का विस्तृत विवरण है। इसके बाद एक गजट अधिसूचना के माध्यम से इस आदेश को लागू किया जाएगा।
बढ़ जाएंगी जम्मू की सीटें
इस कमीशन ने प्रस्ताव दिया है कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 कर दी जाए। इसके अलावा पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) के लिए 24 सीटें खाली रखी गई हैं। ये सीटें पहले भी खाली रखी गईं थी। परिसीमन आयोग के अनुसार जो 7 सीटें बढ़ाई गई हैं उनमें से 6 सीटें जम्मू के हिस्से आएगी जबकि 1 सीट कश्मीर में बढ़ाया जाएगा। बता दें कि अभी जम्मू रीजन में 37 विधानसभा सीटें हैं जबकि कश्मीर क्षेत्र में 46 विधानसभा सीटें आती हैं। इस प्रस्ताव के लागू होने के बाद जम्मू में विधानसभा सीटों की संख्या (37+6) 43 हो जाएगी, जबकि कश्मीर डिवीजन में सीटों की संख्या (46+1) 47 हो जाएगी। इस परिसीमन के लागू होने के बाद जम्मू-कश्मीर का राजनीतिक महत्व बढ़ेगा।
कश्मीरी पंडितों के लिए 2 सीटें रिजर्व
परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 2 सीटें कश्मीरी प्रवासियों के लिए रिजर्व रखी गई हैं। परिसीमन आयोग की रिपोर्ट में इसके लिए कश्मीरी प्रवासी (Kashmiri Migrants) शब्द का इस्तेमाल किया गया है। माना जाता है कि इस फैसले से विधानसभा में कश्मीरी पंडितों का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा।
अनुसूचित जनजाति के लिए 9 सीटें आरक्षित
जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग में पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए 9 सीटें आरक्षित की गई हैं। इनमें से 6 जम्मू रीजन में हैं जबकि 3 कश्मीर संभाग में है। बता दें कि राज्य में विधानसभा चुनावों का रास्ता साफ करने के लिए मार्च 2020 में परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। पिछले साल इस आयोग को एक साल का विस्तार दिया गया था। मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव आयुक्त इस पैनल के सदस्य पदेन सदस्य होते हैं। फरवरी में इस आयोग को फिर से 2 महीने का विस्तार दिया गया था। बता दें कि इस रिपोर्ट के जारी होने के साथ ही केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराए जाने का रास्ता साफ हो गया है। परिसीमन की अधिसूचना जारी होने के साथ ही यहां जल्द ही विधानसभा चुनाव कराया जा सकता है।
क्या होता है परिसीमन
निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की प्रक्रिया परिसीमन कहलाती है। परिसीमन का मुख्य आधार जनसंख्या होता है। लेकिन सीट तय करने से पहले क्षेत्रफल, भौगोलिक परिस्थिति, संचार की सुविधा पर भी प्रमुखता से विचार किया जाता है। पहाड़ी और बर्फीला क्षेत्र होने की वजह से जम्मू-कश्मीर में आवागमन कठिन है इसलिए लोगों को ऐसे क्षेत्रों में रखने की कोशिश की जाती है ताकि उनके सरकारी काम आसान हो और उन्हें वोट देने में भी सुविधा हो। जम्मू-कश्मीर में इससे पहले 1995 में परिसीमन हुआ था. हुआ था। लेकिन तब की राज्य का राजनीतिक नक्शा अलग था। तब लद्दाख भी जम्मू-कश्मीर के साथ था लेकिन 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के साथ ही केंद्र ने लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश की मान्यता दे दी है।