( मीनाक्षी माथुर )
चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को जेड – प्लस क्षेणी की सुरक्षा दी है। एडीजीपी (सीआईडी) की रिपोर्ट के आधार पर बताया गया कि जेल से रिहा होने के बाद गुरमीत राम रहीम को खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ताओं से जान का खतरा है। इस बारे में 6 फरवरी को पत्र जारी कर हाईकोर्ट को भी सूचित किया गया था। इसके बाद ही हरियाणा सरकार ने डेरा प्रमुख को वीआईपी सुरक्षा देने का आदेश दिया है।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पेश रिकॉर्ड से यह बात सामने आई थी कि डेरा प्रमुख को खालिस्तान समर्थक तत्वों से खतरा है। इसके चलते प्रदेश सरकार ने जेल से फरलो पर रिहाई के बाद राम रहीम को जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा दी है। रिकॉर्ड की जांच से पता चला है कि डेरा प्रमुख को रिहा करने की प्रक्रिया महाधिवक्ता (एजी) की कानूनी राय लेने के बाद शुरू की गई थी।
डेरा प्रमुख हार्ड कोर क्रिमिनल नहीं
25 जनवरी को दी राय में महाधिवक्ता (एजी) ने कहा था कि डेरा सच्चा प्रमुख को हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स अधिनियम के तहत ‘हार्ड कोर क्रिमिनल’ की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। एजी के अनुसार, डेरा प्रमुख को इन हत्याओं के लिए अपने सह-अभियुक्तों के साथ आपराधिक साजिश रचने के लिए ही दोषी ठहराया गया है, वास्तविक हत्याओं के लिए नहीं। बता दें कि राम रहीम को फरलो के मामले में हरियाणा सरकार ने सोमवार को हाईकोर्ट में पूरा रिकॉर्ड सौंप दिया। सरकार ने स्पष्ट किया कि फरलो का निर्णय तय प्रक्रिया के तहत लिया गया है। सोमवार को हाईकोर्ट का समय पूरा होने के चलते सुनवाई अब बुधवार को निर्धारित की गई है।
हरियाणा सरकार पर गंभीर आरोप
इधर पंजाब के समाना से निर्दलीय उम्मीदवार परमजीत सिंह सोहाली ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए हरियाणा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। याची ने कहा है कि पंजाब में विधानसभा से ठीक पहले राम रहीम को राजनीतिक लाभ लेने के लिए फरलो दी गई है। राम रहीम का पंजाब की कई सीटों पर गहरा प्रभाव है और ऐसे में उसकी फरलो से पंजाब में शांति भंग हो सकती है। याची ने कहा कि राम रहीम की फरलो से चुनाव की निष्पक्षता भी प्रभावित होगी। डेरा सच्चा प्रमुख राम रहीम को जब सजा सुनाई गई थी तब भी पंचकूला में भारी हिंसा हुई थी। ऐसे में हरियाणा सरकार का यह निर्णय पूरी तरह से गलत है। दुष्कर्म व हत्या जैसे संगीन मामले में दोषी होने के चलते हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स अधिनियम के तहत उसे फरलो का अधिकार नहीं है।