( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। अर्द्धनिक बलों और केंद्र के पुलिस विभाग से संबंधित 18 से 20 पुलिस अधिकारी उत्तराखंड प्रतिनियुक्ति पर आने के लिए आवेदन किया है। इनके आवेदन भी शासन के पास पहुंच गए हैं। जिससे PPS अफसरों में हड़कंप मचा है। इस मामले में PPS एसोसिएशन मुख्यालय के माध्यम से शासन से भी वार्ता की तैयारी में है। केंद्रीय बलों से इंस्पेक्टर से लेकर एएसपी रैंक के अफसरों ने उत्तराखंड में प्रतिनियुक्ति की मांग की है। इनके आवेदन पर प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। इस तरह से प्रतिनियुक्ति पर अफसरों को लेने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है, जबकि यह उत्तराखंड प्रादेशिक पुलिस सेवा की नियमावली के खिलाफ है।प्रादेशिक पुलिस का लगभग 150 अधिकारियों का ढांचा है। इस पदों को सीधी भर्ती और प्रमोशन पर ही भरा जा सकता है। इसमें प्रतिनियुक्ति का कोई विकल्प ही नहीं है। बावजूद केंद्र के इन अफसरों के आवेदन लिए जा रहे है। यदि ऐसा हुआ तो प्रदेश पुलिस सेवा में भर्ती अफसरों के हितों का हनन होगा ,साथ ही यहाँ के अफसरों की सेवा पर भी असर पड़ेगा। मसलन यदि कोई डीएसपी केंद्र से प्रतिनियुक्ति पर आता है तो उसे किसी जिले में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी तो दी जाएगी। इससे मूल कैडर के पीपीएस अधिकारी को या तो हटना पड़ेगा या फिर पोस्टिंग के लिए इंतज़ार करना पड़ेगा। इतना ही नहीं इससे कई और व्यवस्थाएं भी प्रभावित होंगी। इससे इंस्पेक्टर से लेकर PPS अफसरों में भरी नाराज़गी देखने को मिल रही है।
अर्द्धसैनिक बल के अफसरों की क्या जरूरत
आर्द्धनैनिक बल्ले के अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर किसी खास उद्देश्य के लिए बलाया जाता है। मसलन, यदि आतंकवाद का माहौल हो या फिर कोई और जरूरत, लेकिन यहाँ पर ऐसा कुछ नहीं है। प्रदेश पुलिस का भीड़ नियंत्रण में देश-दुनिया में नाम है। कुंभ, कावड़ हर साल होने वाली यात्राओं में पुलिस इस बात का लोहा हर साल मनाती है।
विरोध में पीपीएस एसोसिएशन ने डीजीपी को दिया ज्ञापन
प्रांतीय पुलिस सेवा पीपीएस एसोसिएशन, उत्तराखण्ड के सदस्यों द्वारा पुलिस महानिदेशक, अशोक कुमार उत्तराखण्ड के साथ भेंट की गयी । प्रांतीय पुलिस सेवा पीपीएस एसोसिएशन, उत्तराखण्ड द्वारा पुलिस महानिदेशक, उत्तराखण्ड से उत्तराखण्ड पुलिस सेवा में केंद्रीय पुलिस बल/ पैरामिलिट्री के डेपुटेशन को लेकर आपत्ति प्रकट करते हुए एक ज्ञापन सौंपा। सौपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तराखण्ड पुलिस सेवा में लॉस नायक से कमांडेट स्तर तक डेपुटेशन पर नियुक्ति के प्रस्ताव को राज्य हित एवं लोक हित में ठीक नहीं होने के बारे में बताया । उत्तराखंड एक शांत प्रदेश है। यहां केंद्रीय पुलिस बल/पैरामिलिट्री के अधिकारियों की कार्य विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं है। राज्य सेवा के पर्याप्त अधिकारी है, जो राज्य की भौगोलिक, सामाजिक पृष्ठभूमि व संस्कृति का अच्छा ज्ञान रखते हैं। अर्धसैनिक बलों को विनिदिर्ष्ट कर्तव्य उनके संचालन व कार्यप्रणाली के हिसाब से विशेष व खास होते है व वह सिविल पुलिस के कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करते हैं, केवल विशेष परिस्थितियों में राज्य सरकारों की मदद और सहायता करते हैं। अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों की तैनाती मूलतः अशांत उपद्रवग्रस्त क्षेत्रों में की जाती है तथा उनका उदेश्य उस डिस्टर्व क्षेत्र में शांति व्यवस्था कायम करना होता है जबकि उत्तराखंड एक शांत प्रदेश है। यहां पर धार्मिक पर्यटन, कुंभ मेला मेला त्यौहार व आपदा ड्यूटी के प्रमुख बिंदु होते है। यहाँ कोई नक्सलवाद या कोई अन्य संघर्ष का केंद्र बिंदु भी नहीं है। ऐसे में इन अधिकारियों की नियुक्ति डेपुटेशन पर यहां किए जाने पर आम जनता पर भी राज्य कार्य की प्रतिकूल छवि बन जाने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
पैरामिलिट्री/ केंद्रीय पुलिस बल की कार्यप्रणाली पॉलिसी ओरिएटेड होती है ना कि पब्लिक ओरिएंटेड उत्तराखंड जैसे विशिष्ट भौगोलिक सामाजिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ने राज्य के लिए लोक पुलिस कार्यप्रणाली ही उपयुक्त माना गया है उत्तराखंड पीपीएस कॉडर बहुत छोटा काडर है तथा पोस्टिंग के अवसर भी सीमित मात्रा में है। केवल पीपीएस अधिकारियों का एक छोटा हिस्सा ही फील्ड पोस्टिंग में रहते है, शेष Non DF में पोस्टेड रहते हैं। यदि Non DF के पदो कोटेशन से भरा जाएगा तो स्टेट काडर को को पोस्टिंग नहीं मिल पाएगी। इससे वर्षों से लगनपूर्वक अपना कर्तव्य करते आ रहे राज्य पुलिस सेवा अधिकारियों के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा । वर्तमान में स्टेट काडर के अधिकारी पर्याप्त मात्रा में राज्य सरकार के पास उपलब्ध है। इसलिए डेपुटेशन से लाया जाना ठीक नहीं है। इससे शासन पर अनावश्यक वित्तीय भार भी पड़ेगा जो कि राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं है। सेवा नियमावली में किसी भी पद पर नियुक्ति के लिए दो तरीके दिए गए है सीधी भर्ती व निश्चित वर्षों का सेवा अनुभव, इसमें किसी अन्य विभाग से डेपुटेशन का कोई प्रावधान नहीं है। इस दौरान प्रांतीय पुलिस सेवा पीपीएस एसोसिएशन, उत्तराखण्ड के अध्यक्ष अपर पुलिस अधीक्षक सुरजीत पंवार , प्रमोद कुमार अपर पुलिस अधीक्षक, श्रीमती शाहजहां जावेद खान अपर पुलिस अधीक्षक, प्रकाश चंद्र अपर पुलिस अधीक्षक, चंद्र मोहन अपर पुलिस अधीक्षक एसटीएफ , चक्रधर अंथवाल अपर पुलिस अधीक्षक(महासचिव) , विवेक कुमार पुलिस उपाधीक्षक, आशीष भारद्वाज पुलिस उपाधीक्षक, शांतनु पराशर पुलिस उपाधीक्षक, श्रीमती पूर्णिमा गर्ग पुलिस उपाधीक्षक, सुश्री रीना राठौर पुलिसउपाधीक्षक एवम अन्य अधिकारीगण मौजूद रहे।
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