( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
नई दिल्ली। भारत के पहले चीफ ऑफ़ डिफैंस जनरल विपिन रावत के निधन के बाद हर किसी को इस बात का इंतज़ार है कि अगला CDS कौन होगा? उनका कार्यकाल अभी एक साल और बाक़ी था। बता दें कि CDS दो ज़िम्मेदारी निभाते हैं। वो देश में सेना के तीनों अंगों का नेतृत्व करने के अलावा सैन्य मामलों के विभाग (DMA) के सचिव भी रहते हैं। अगले एक हफ्ते के दौरान नए सीडीएस के नाम पर फैसला लिया जाएगा।
बता दें कि मिलिट्री में हर अधिकारी के लिए सेकेंड-इन-कमांड होता है। प्रमुख अधिकारी के अस्वस्थ होने पर वो काम करते हैं लेकिन CDS में सेकेंड इन-कमांड का कोई सिस्टम नहीं है। हालांकि एक अनौपचारिक वाइस चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ है, जो एक थ्री-स्टार ऑफिसर होता है। उदाहरण के लिए, अगर सेना, नौसेना या वायु सेना का एक प्रमुख अपने पद पर बने रहने में असमर्थ हो तो ऐसे हालात में उस बल का उप प्रमुख तब तक प्रमुख के रूप में कार्य करता है जब तक कि सरकार फुलटाइम प्रमुख की नियुक्ति नहीं कर देती। हालांकि ये जरूरी नहीं कि वो वाइस चीफ हो।
सचिव की तरह होते हैं CDS
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक सीडीएस/डीएमए सचिव की नियुक्ति एक सेवा प्रमुख की तुलना में एक सचिव की तरह अधिक होती है। सीडीएस के लिए कोई डिप्टी नहीं है, जो उनकी अनुपस्थिति में काम कर सके। ये सरकार पर निर्भर करता है कि उनकी जिम्मेदारियों को कौन संभालेगा। सूत्रों का कहना है कि CCS इस पर आखिरी फैसला लेगी।
नहीं होता कोई कोई सेकेंड इन-कमांड
रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि सीडीएस एक सैन्य अधिकारी है, लेकिन एक सचिव की तरह एक ब्यूरोक्रेट है, यही वजह है कि कोई सेकेंड इन-कमांड नहीं है। बुधवार को मिलिट्री और ब्यूरोक्रेट्स के अधिकारियों में इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति थी कि अब सीडीएस के रूप में कौन काम कर सकता है। सीडीएस चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीओएससी) का स्थायी प्रमुख था, जिसमें तीन सेवा प्रमुख शामिल होते हैं।