( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
पीलीभीत। भाजपा द्वारा पीलीभीत से वरुण गांधी के टिकट कटने के बाद अब सबकी निगाहें वरुण गांधी के रुख पर टिकी हैं। मामले में दो दिन से वरुण खेमे की चुप्पी से अटकलों का दौर तेज हो गया है। सवाल उठ रहे हैं कि टिकट घोषित हुए बिना नामांकन प्रक्रिया शुरू होते ही चार सेट नामांकन पत्र खरीदने वाले वरुण गांधी ने रविवार को टिकट कटने के बाद से मंगलवार तक कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी?
सोशल मीडिया से लेकर पूरे क्षेत्र तक में कोई वरुण के पक्ष में तो कोई भाजपा के पक्ष में चर्चा कर रहा है। विपक्षी नेता भी वरुण के मुद्दे पर भाजपा को घेरने में जुटे हैं। माना जा रहा है कि बुधवार को नामांकन के अंतिम दिन तस्वीर साफ होगी कि वरुण मैदान छोड़ेंगे या कोई और कदम उठाएंगे। रहस्य की यह स्थिति मेनका गांधी को सुल्तानपुर से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद और गहराई है।
बहरहाल, राजनितिक जानकारों का कहना है कि वरुण अगर पीलीभीत सीट छोड़ते हैं तो यहां से वर्ष 1989 से चले आ रहे उनके परिवार के सियासी रिश्ते पर ब्रेक लग जाएगा। वहीं अगर पार्टी से बगावत कर बुधवार को नामांकन दाखिल करते हैं तो सीधा असर पीलीभीत से छह बार की सांसद रहीं व सुल्तानपुर से चुनाव लड़ने जा रहीं उनकी मां मेनका गांधी पर भी पड़ सकता है।
35 साल पुराना है इस सीट से रिश्ता
वरुण गांधी के परिवार का पीलीभीत से रिश्ता 35 साल पुराना है। वर्ष 1989 में जनता दल से मेनका गांधी ने राजनीति की शुरुआत की थी और तराई के लोगों ने मेनका को सिर-आंखों पर बैठाया और तोहफे में जीत दी। हालांकि दो साल बाद 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के परशुराम गंगवार से मेनका हार गईं थीं।
वर्ष 1996 में मेनका ने फिर जनता दल से चुनाव लड़कर अपनी हार का बदला लिया था। फिर वर्ष 1998 व 1999 में वह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जीतती रहीं। वर्ष 2004 में मेनका ने भाजपा का दामन थामा और फिर जीत हासिल की। वर्ष 2009 में उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत बेटे वरुण गांधी के हवाले कर दी और खुद सुल्तानपुर चली गईं।
वोटरों ने भी वरुण को हाथोंहाथ लिया और वह रिकॉर्ड मतों से जीते। राजनीति में युवाओं की पहली पसंद बन गए। वर्ष 2014 में मेनका फिर पीलीभीत से लड़कर जीतीं और वरुण सुल्तानपुर से जीते। बाद में 2019 में फिर पीलीभीत से सांसद बने। मेनका यहां से छह बार व वरुण दो बार सांसद रहे। 1996 से अब तक इनका परिवार ही लगातार काबिज है।
किसी वीआईपी सीट से उतारे भी जा सकते हैं वरुण
अपनी ही सरकार को कई बार कठघरे में खड़ा करने वाले वरुण का टिकट काटने के बाद भी भाजपा उनसे रिश्ता कायम रख सकती है। चर्चा है कि पार्टी उन्हें अवध क्षेत्र की किसी वीआईपी सीट से चुनाव मैदान में उतार सकती है। हालांकि इस बारे में ठोस कोई कुछ नहीं बोल रहा। सिर्फ वरुण व भाजपा की एक-दूसरे के बारे में कोई टिप्पणी न आने से इसकी संभावना भी कुछ लोग जता रहे हैं। ऐसे में भाजपा और वरुण दोनों के लिए बुधवार का दिन खास है।

=================हर खबर की अपडेट सबसे पहले प्राप्त करें========================
आपके काम की हर महत्वपूर्ण खबर और अपडेट उपलब्ध है हमारे इस वेबसाइट पर। चाहे हो रोजगार से जुड़ी खबर या हो योजनाओं संबंधी जानकारी हर अपडेट और हर खबर आपको मिलेगी हमारे इस वेबसाइट पर। अगर आप चाहते हैं कि जब भी हम कोई खबर प्रकाशित करें तो आपको उसका नोटिफिकेशन मिले तो आप हमारे टेलीग्राम चैनल से जुड़ सकते हैं जिसका लिंक इस पोस्ट के नीचे हरे रंग की पट्टी में दिया गया है। नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप हमारे व्हाट्सअप चैनल से जुड़ सकते हैं और हर अपडेट का नोटिफिकेशन सबसे तेज और पहले प्राप्त कर सकते हैं। हमारे व्हाट्सअप चैनल से जुड़ने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि आपको हर खबर का नोटिफिकेशन सब=से तेज मिल जाता है और आपसे आपके काम की कोई भी महत्वपूर्ण खबर नहीं छूटती है। Follow the News 1 Hindustan channel on WhatsApp: https://whatsapp.com/channel/0029Va4ttAp1HspyvrCzv838
पढ़े Hindi News ऑनलाइन और देखें News 1 Hindustan TV (Youtube पर ). जानिए देश – विदेश ,अपने राज्य ,बॉलीबुड ,खेल जगत ,बिजनेस से जुडी खबरे News 1 Hindustan . com पर। आप हमें Facebook ,Twitter ,Instagram,Telegram पर आप फॉलो कर सकते है। ==================सुरक्षित रहें , स्वस्थ रहें। Stay Safe , Stay Healthy================
जागरूक जनता से महत्वपूर्ण अपील-लोकत्रंत्र के महापर्व के अवसर पर 19 अप्रैल को सभी मतदाता निर्धारित मतदान केंद्रों पर पहुंचकर अवश्य अपने मत का उपयोग करें।