( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
केदारनाथ धाम / रुद्रप्रयाग। उत्तराखण्ड में कोरोना साल के बाद शुरू हुई चारधाम यात्रा के कुछ दिनों बाद ही चिंता का विषय बनती जा रही है। कोरोना काल के दो साल बाद शुरू हुई यात्रा में अब जगह-जगह प्लास्टिक की थैलियों, बोतलों सहित कचरे का ढेर दिखाई दे रहा है। इस पर एक्सपर्ट्स ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि यह सेंसेटिव इकोसिस्टम के लिए खतरा है।
रिपोर्ट के अनुसार, इस साल 21 मई तक आठ लाख से अधिक तीर्थयात्रियों ने उत्तराखंड की चार धाम यात्रा की है। यात्रियों के आने से राज्य का खजाना तो भर गया है, लेकिन इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं, जैसे कचरा, विशेष रूप से प्लास्टिक बैग और रैपर, जो पर्यावरण के लिए खतरा हैं।
वैज्ञानिकों ने इस पर चिंता जाहिर की है। गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग के प्रमुख प्रोफेसर एमएस नेगी ने कहा है कि केदारनाथ जैसे संवेदनशील स्थान पर जिस तरह प्लास्टिक का कचरा जमा हो गया है, वह हमारी पारिस्थितिकी के लिए खतरनाक है। इससे क्षरण होगा जो भूस्खलन का कारण बन सकता है।
उत्तराखंड में हाई एल्टीट्यूड प्लांट फिजियोलॉजी रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर प्रोफेसर एमसी नौटियाल ने बताया कि पर्यटकों की संख्या कई गुना बढ़ गई है, जिसके कारण प्लास्टिक का कचरा बढ़ गया है। इससे नेचुरल वेजिटेशन प्रभावित हुई है।
गौरीकुंड-केदारनाथ के बीच चलेंगे आल टेरेन व्हीकल : महाराज
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि 16 किमी लंबे गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर निकट भविष्य में आल टेरेन व्हीकल (एटीवी) दौड़ते नजर आएंगे। इसके लिए पहले पैदल मार्ग को एटीवी चलाने योग्य बनाया जाएगा। इस संबंध पर्यटन विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है। शीघ्र इसकी औपचारिकताएं पूरी कर अग्रिम कदम उठाया जाएगा। पर्यटन मंत्री ने कहा कि चारधाम में केदारनाथ की यात्रा सबसे कठिन है। इसी को ध्यान में रखकर पर्यटन विभाग पैदल मार्ग पर आल टेरेन व्हीकल चलाने की तैयारी कर रहा है। पैदल मार्ग की स्थिति के बारे में उन्होंने जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) शाखा के अधिशासी अभियंता से जानकारी मांगी है। कहा कि एटीवी चलाने के लिए जल्द पैदल मार्ग की स्थिति सुधारी जाएगी। इस संबंध में उच्चाधिकारियों से वार्ता हो चुकी है।
सुशांत राजपूत के नाम से बनेंगे सेल्फी प्वाइंट
पर्यटन मंत्री ने बालीवुड अभिनेता रहे सुशांत सिंह राजपूत के नाम से केदारघाटी में विभिन्न स्थानों पर सेल्फी प्वाइंट बनाने के निर्देश पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने जिला पर्यटन अधिकारी को दिए हैं। उन्होंने कहा कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने हिदी फिल्म “केदारनाथ” में मुख्य किरदार निभाई थी। जिन-जिन स्थानों पर इस फिल्म की शूटिग हुई, वहां-वहां सेल्फी प्वाइंट बनाए जाएंगे। इससे जहां बालीवुड से जुड़े लोग आकर्षित होंगे, वहीं एक बेहतर अभिनेता को भी याद किया जा सकेगा।
सोशल मीडिया पर शेयर हो रहीं कचरे की तस्वीरें
सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें शेयर हो रही हैं। इसमें बर्फ से ढके पहाड़ों में प्लास्टिक की चीजें और कचरे का ढेर नजर आ रहा है। इससे वैज्ञानिकों और पर्यावरण विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है। उनका कहना है कि इससे प्रदूषण और नेचुरल डिजास्टर्स का खतरा भी बढ़ सकता है।
2013 की त्रासदी को याद रखना जरूरी
गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग के प्रमुख प्रोफेसर एमएस नेगी ने कहा कि जिस तरह से केदारनाथ जैसे संवेदनशील स्थान पर कचरा जमा हो गया है, वह खतरनाक है। इससे इरोजन होगा, जो लैंडस्लाइड का कारण बन सकता है। हमें 2013 की त्रासदी को ध्यान में रखना चाहिए।
2013 में बादल फटने से आई थी बाढ़
ग़ौरतलब है कि जून 2013 में बादल फटने से पूरे उत्तराखंड में विनाशकारी बाढ़ और लैंडस्लाइड हुआ। 2004 में भारत में बंगाल की खाड़ी के साथ-साथ श्रीलंका, इंडोनेशिया और अन्य देशों में आई सुनामी के बाद से यह भारत की सबसे खतरनाक प्राकृतिक आपदा थी। इस बाढ़ से पूरे उत्तराखंड में 100 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें से 30 मौतें रुद्रप्रयाग जिले में हुई थी।
बाढ़ के दौरान केदारनाथ में करीब 3 लाख श्रद्धालु फंस गए थे, जिन्हें बाद में आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के जवानों ने रेस्क्यू कर बचा लिया था। हालांकि, उसके बाद भी 4 हजार से ज्यादा लोग लापता हो गए थे।
News 1 Hindustan टीम आपसे आग्रह करती है कि आप प्लास्टिक कचरे को और प्रशासन द्वारा निर्धारित स्थानों पर ही डालें, जिससे कि गंदगी ना फ़ैले। चारधाम यात्रा को स्वस्थ्य और सुन्दर बनाये रखने में प्रशासन का सहयोग करे।