( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
चम्पावत। ” एक कहावत है कि जब कोई काम करने पाए आ जाये तो कुछ भी मुश्किल नहीं होता है। “वही एक तरफ देश में बेरोजगारी का रोना और दूसरी तरफ पहाड़ो पर जिन महिलाओ ने कभी घर से बहार कदम नहीं निकला हो ,उन्होंने अपने हुनर से अपने लिए स्वरोजगार के अवसर ढूंढ नकली है।
जी हाँ ,चम्पावत की महिलाओं ने समूह बनाकर अपना व्यवसाय शुरू कर दिया है और सरस बाज़ारो में उनके उत्पादों की अच्छी – खासी बिक्री भी हो रही है। यह सब हो रहा है मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के स्वयं सहायता समूह और ग्रामीण आजीविका मिशन के कारण।
समूह से महिलाओं को जोड़ने में जिले की एपीडी अधिकारी विमी जोशी की बड़ी भूमिका है। जाहिर है उनकी मेहनत रंग आई और आज चंपावत क्षेत्र की कई हजारों महिलाएं समूह से जुड़कर घर का खर्च उठा रही हैं।
ये महिलाएं बैठक कर विचार-विमर्श भी करती हैं। नए अवसरों की तलाश करती हैं और नए उत्पादों पर काम भी करती हैं। इसका नतीजा है कि ये महिलाएं अपनी मेहनत के बल पर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं।
टोकरी बिनाई जैसे काम इनके लिए आसान भी है और प्रिय भी। इनके हाथों बनी बांस की टोकरियों, डलियों की इलाके में डिमांड है. ये बांस से बनी चीजें सरस बाजार में पहुंचाती हैं और वहां इन्हें इसके लिए उचित मूल्य भी मिल जाता है।
दीदी की रसोई में बनी चीजें भी बाजार में अपनी जगह बनाने लगी हैं. समोसा हो या चटनी, अचार हो या मसाले या फिर आर्गेनिक तरीके से पैदा की गई चीजें – सबके उपभोक्ता इन महिला समूहों को मिल गए हैं और बिक्री बढ़ी है।
कलक्ट्रेट समहू की महिलाएं अपने मेहनत के बल पर महीने में 20 हजार रुपये से ज्यादा की आय करने लगी हैं और बच्चों की पढ़ाई की जिम्मेदारी भी उठा रही हैं। इन महिलाओं की मेहनत बताती है कि हौसला है तो सब कुछ मुमकिन है।