( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
नई दिल्ली। आईपीएस ऑफिसर बनने से पहले आदित्य ने पांच सालो में PCS ,बैंकिंग ,एसएससी ,इंजीनियरिंग एट्रेंस सहित कई भर्ती और प्रवेश परीक्षाओं में अपनी किस्मत आजमाई पर UPSC सिविल सर्विसेस छोड़ उन्हें हर बार नाकामी ही मिली,और अपने चौथे प्रयास में वह UPSC क्रैक किया। लगातार मिल रही असफलताओ के वबावजुद उन्होंने हर नहीं मानी। आदित्य ने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2018 ( UPSC CSE IAS IPS ) में 630वीं रैंक हासिल की। वह जानते थे कि उनकी मेहनत एक न एक दिन जरूर रंग लाएगी। आईपीएस ऑफिसर आदित्य की कहानी यूपीएससी की तैयारी कर रहे लाखों अभ्यर्थियों को सीख देती है कि असफलता से मिलने वाला अनुभव ही कामयाबी की राह खोलता है।
सरकारी शिक्षक दंपति के बेटे आदित्य की स्कूली शिक्षा 8वीं क्लास तक राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में स्थित उनके गांव के स्कूल से ही हुई। इसके बाद उन्होंने भदरा जिला मुख्यालय स्कूल से अपनी स्कूलिंग पूरी की। राजस्थान बोर्ड से उन्होंने 12वीं पास की। 12वीं उनके 67 फीसदी नंबर थे। इसके बाद उन्होंने वहीं के एक कॉलेज से इतिहास, राजनीति विज्ञान और भूगोल विषयों के साथ बीए किया। स्कूल और कॉलेज में वह हिन्दी मीडियम के छात्र रहे। 2013 में यूपीएससी की तैयारी के लिए वह दिल्ली आ गए।
एक इंटरव्यू में आदित्य ने बताया, ‘अपने पिता की तरह मैं भी सिविल सेवा में जाना चाहता था। मैं यह सुनते हुए ही बड़ा हुआ कि कैसे सिविल सेवक आम जनता के लिए कल्याणकारी योजनाओं को अमल में लाते हैं। उनकी क्या ताकत और भूमिका होती है। ग्रेजुएशन के बाद मैंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा मैं बैठना शुरू किया। चूंकि यह एग्जाम साल में सिर्फ एक बार होता है, इसलिए मैंने प्लान बी के तौर पर साल भर में निकलने वाली अन्य सरकारी नौकरियों के फॉर्म भी भरे और उन भर्ती परीक्षाओं में बैठा। इससे मेरी नॉलेज और बढ़ी।’
दो दर्जन से ज्यादा भर्ती परीक्षाओं में आदित्य को असलफता हाथ लगी लेकिन इन नाकामियों ने उन्हें और मजबूत बनाया। वह कहते हैं, ‘फेल होने के बाद मुझे झटका जरूर लगता था, हतोत्साहित होता था, सोचता था कि छोड़ दूं। लेकिन मैंने अनावश्यक सामाजिक दबाव और नकारात्मकता से दूर रहने का फैसला किया। मैं हर प्रयास से प्रोत्साहित होता था। अगले एग्जाम में अच्छा करने का लक्ष्य रखता था। सोचता था – अपना टाइम आएगा।’
यूपीएससी की तैयारी में आए उतार चढ़ाव
आदित्य अपने पहले प्रयास में यूपीएससी प्रीलिम्स भी पास नहीं कर पाए। इसके बाद दूसरे प्रयास में वह मेहनत करके इंटरव्यू तक पहुंचे। लेकिन उनका चयन नहीं हुआ। उन्होंने कहा, ‘जब मैं पीटी में पहुंचा, तो मुझे लगा कि मैं प्रीलिम्स और मेन्स को आसानी से पास कर सकता हूं। मुझे बस अपने साक्षात्कार पर काम करना था। मुझे एक रियलिटी चेक मिला और तीसरे प्रयास में मेन्स में फेल हो गया।’
इससे उन्होंने सबक लिया कि किसी भी चीज को हल्के में नहीं लेना चाहिए। उन्होंने अपनी तैयारी की रणनीति बदली और समय प्रबंधन से लेकर सामान्य ज्ञान हर पहलू में महारत हासिल करने पर काम किया।
उन्होंने कहा, ‘उत्तर लिखने का अभ्यास करना सबसे आसान और सबसे सफल फॉर्मूलों से एक है। यह न केवल लिखने की गति में सुधार करता है बल्कि उत्तरों को बेहतर ढंग से लिखने में भी मदद करता है। यदि आप हर दिन लिखते हैं, तो आप निरंतरता पर पकड़ बना लेंगे। निबंध लिखने के लिए कुछ समय दें। इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। दिन के छोटे लक्ष्य बनाएं और उन्हें पूरा करें। दिन में क्वालिटी व एकाग्रता के साथ सात – आठ घंटे पढ़ाई को देना काफी रहता है। ब्रेक लेना जरूरी है। इससे आप फोकस रहेंगे।”
ज्यादा स्रोतों का रेफरेंस न लें
आदित्य के मुताबिक बहुत ज्यादा किताबें, वेबसाइट्स, कोचिंग सेंटर और किताबों की मदद लेना ठीक नहीं। सब कुछ पढ़ने की बजाय अपना स्टडी मैटिरियल सीमित रखें। 50 किताबें एक बार पढ़ने की बजाय, एक किताब 50 बार पढ़ें।’
– प्रीलिम्स के लिए खूब प्रैक्टिस करें।
– मेन्स में टाइम मैनेजमेंट और ऑप्शनल विषय पर अच्छी कमांड होना जरूरी है।
– इंटरव्यू में आपकी नॉलेज से ज्यादा आपकी पर्सनैलिटी चेक होगी। इसलिए अपने बैकग्राउंड से जुड़े प्रश्नों पर काम करें।