( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
टिहरी गढ़वाल / हल्द्वानी। उत्तर प्रदेश में बाबा के बुलडोजर के बाद अब उत्तराखण्ड में बुलडोजर चलने की तैयारी है। जी हाँ ,हल्द्वानी में चार हज़ार मकानों को ढहाने की जहा तैयारी है वही टिहरी में भी अवैद्य मकानों पर बुलडोजर चल है। दोनों ही मामलो में अब राजनीती शुरू हो गई है।
सबसे पहले बात हल्द्वानी करते है। यहां रेलवे की जमीन पर बने 4000 से ज्यादा मकानों को तोड़ा जाना है। बुलडोजर जल्द ही रेलवे स्टेशन के पास बसे बनभूलपुरा इलाके में पहुंच सकता है। हाईकोर्ट ने इस मामले में रेलवे और ज़िला प्रशासन से आगे की योजना के बारे में पूछा है। जिसके बाद इन मकानों पर बुलडोजर चलने की आशंका को बल मिल रहा है। इस क्षेत्र में बसे हजारों घर राजनीतिक पार्टियों के लिए मजबूत वोट बैंक रहे हैं, इसलिए सालों से यहां बुलडोजर तो दूर कोई हथौड़ा तक नहीं चला। अब कोर्ट के दखल के बाद यहां के लोगों की चिंता बढ़ गई है। वो तोड़-फोड़ से पहले ठीक से पुनर्वास किए जाने की मांग करने लगे हैं। वही इस कार्रवाई का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिला प्रशासन ने अतिक्रमण हटवाने के लिए नागालैंड और असम से अतिरिक्त पुलिस बल की मांग की है। नागालैंड और असम से अतिरिक्त पुलिस बल आने पर ही अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
वही हल्द्वानी से कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश ने जनता को मदद का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा कि जनता की जमीन बचाने के लिए वो देश की सबसे बड़ी अदालत से राहत लेकर आएंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस समर्थकों के निर्माणों को बीजेपी सरकार बदले की भावना से निशाना बना रही है। इसी तरह बीते दिनों जब टिहरी के बीपुरम रोड से अवैध अतिक्रमण हटाया गया तो स्थानीय लोगों ने इस एक्शन को बीजेपी सरकार की दलित विरोधी नीति करार दे दिया। उनका कहना था कि कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज के दबाव के चलते गरीबों के मकान तोड़ दिए गए, जबकि बड़े अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। स्थानीय लोगों के पास स्टे होने के बावजूद यह कार्रवाई उन्हें पूर्व सूचना दिए बगैर की गई। वहीं एसडीएम अपूर्वा सिंह का कहना है कि यह मामला साल 2013 से चल रहा है। कई बार नोटिस के बाद एक्शन लिया गया है। अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी।