( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उपाध्याय ने मुख्यमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा है कि उन्हें आशा है कि सरकार इस भूल को सुधारेगी, उपाध्याय ने कहा है कि:-
“आदरणीय मुख्यमंत्री जी,
राज्य स्थापना दिवस से पूर्व राज्य सरकार द्वारा घोषित उत्तराखंड गौरव सम्मान पुरस्कारों से विभूषित स्वनाम धन्य महानुभावों के नामों का अवलोकन किया।
सभी पुरस्कृत महानुभावों को बहुत-बहुत बधाईयां।
सूची में दिवंगत महापुरुषों के भी नाम सम्मिलित हैं।
मेरा व्यक्तिगत सुविचारित मत है कि उत्तराखंड राज्य के जनक श्रद्धेय इन्द्रमणि बडोनी जी से बड़ा कोई दूसरा उत्तराखंड का गौरव नहीं हो सकता।बडोनी जी का इस राज्य के निर्माण में अभूतपूर्व योगदान है।
राष्ट्रीय राजनैतिक दल को तिलांजलि देकर उन्होंने संघर्ष का रास्ता चुना और अपने खून-पसीने से अलग राज्य के आन्दोलन की अलख जगाई, नहीं तो वे कांग्रेस के बड़े नेता होते और हो सकता है, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हो गये होते, लेकिन उनके मन में पहाड़ के पानी, जवानी और जननी (नारी शक्ति) का दर्द था, जल, जंगल और ज़मीन की रक्षा की पीड़ा थी, उन्होंने व्यक्तिगत हितों को तिलांजलि देकर सार्वजनिक हितों की रक्षा के लिये उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिये अपनी आहुति दी।
राज्य के लिये स्वयं की आहुति देने वाले राज्य आन्दोलन के शहीदों की आत्मा को कुछ शान्ति मिलती, यदि श्री बडोनी जी का नाम प्रथम स्थान पर इस सूची में होता और उत्तराखंड राज्य आंदोलन की भावना की भी रक्षा होती।
अखोड़ी जैसे सुदूर ग्रामीण गाँव के गोरू चराने वाले गरीब घर के बेटे के बारे में अमेरिका तक ने कहा था कि वे आज के गांधी हैं।
आशा है, आप मेरे दर्द और भावनाओं को समझेंगे।”