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मुश्किल दौर में सरकारी डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने फूका विरोध का बिगुल, दी हड़ताल की चेतावनी। आखिर क्यों ? जाने 

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( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून।
कोरोना से परेशान प्रदेशवासियों को अब एक नई दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। मामला डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ की हड़ताल से जुड़ा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग के कोरोना वॉरियर्स अब अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने की चेतावनी दे रहे हैं। डॉक्टरों ने विरोध कार्यक्रम की रूपरेखा भी तैयार कर ली है।
इस मुश्किल दौर में सरकारी डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने विरोध का बिगुल फूंका है। प्रदेशभर के डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर जाने का मन बना चुके है। डॉक्टरों के इस फैसले से सरकार की चिंता बढ़ना भी लाजमी है। डॉक्टरों की तीन मांगें हैं। डॉक्टरों ने सरकार के उस फैसले का विरोध किया है, जिसमें हर महीने एक दिन का वेतन काटा जा रहा है। डॉक्टरों की दूसरी मांग है कि मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि पीजी करने वाले डॉक्टर को पूरी तनख्वाह दी जाएगी, लेकिन उसका आदेश अभी तक जारी नहीं किया गया है। इसके अलावा विभिन्न मामलों में डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराने वाले और जिलाधिकारी से नीचे के अधिकारियों द्वारा अस्पतालों में हस्तक्षेप करने के मामले शामिल हैं। प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के महासचिव डॉक्टर मनोज वर्मा ने स्पष्ट किया है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वे सितंबर से काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। उसके बाद डॉक्टर वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति स्कीम) भी लेंगे। इसके बाद भी मांग पूरी न होने पर सामूहिक इस्तीफा भी चिकित्सक देने को तैयार हंै। एक तरफ जहां डॉक्टरों एक सितंबर से अपना आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं।  

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