( ज्ञान प्रकाश पाण्डेय )
हरिद्वार। देवभूमि उत्तराखण्ड में जहां कई राजनीतिक पार्टिया विधान सभा चुनाव पहले अपनी सियासी जमीन तलाशने में जुटी है ,वही भाजपा में फिर अंतर्विरोध दिख रहा है। पार्टी के विधायक जहा अपनी ही सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए प्रदेश में सीएम और प्रदेश अध्यक्ष से कहने की बजाय सीधे दिल्ली का रुख किया है। दरअसल जब से आम आदमी पार्टी ने यह ऐलान किया है कि वह उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव में प्रदेश की सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, उसके बाद से बीजेपी में हाशिये पर पड़े बीजेपी विधायक और नेता अपनी नाराजगी दिखाने लगे हैं। क्योकि उत्तराखण्ड में आम आदमी पार्टी को दमदार नेतृत्व की तलाश है।
वही दूसरी तरफ उत्तराखण्ड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के आप में जाने की अटकलों का बाज़ार गर्म है ,परन्तु उनके सूत्र बताते है कि किशोर इन दिनों उधेड़बुन में लगे हुए है। माना जा रहा है कि पहले वह किशोर कांग्रेस बनाने के मूड में थे,पर इसी बीच वनाधिकार आन्दोलन को लेकर बड़ी रणनीति बनाते नज़र आये। वनाधिकार को लेकर किशोर आर – पार की लड़ाई लड़ने के मूड में है ! इसीलिए उन्होंने उत्तराखंड वनाधिकार कांग्रेस के नाम से पार्टी बनाई। जो कि अभीतक अराजनैतिक रूप में है। इसीलिये शायद किशोर उपाध्याय हरिद्वार से एक बड़े आंदोलन की है। किशोर उपाध्याय 8 सितम्बर को सुबह 11 बजे हरिद्वार नगर निगम प्रांगण स्थित बिजली विभाग के दफ्तर के बाहर उत्तराखंड वनाधिकार कांग्रेस के बैनर तले राज्य सरकार के खिलाफ धरना दिया । इस दौरान उत्तराखंड सरकार से राज्य के लोगो के लिए बिजली और पानी के बिलो को माफ़ करने और भविष्य में निशुल्क बिजली पानी देने की माँग की गई ।
विदित हो कि उपाध्याय पिछले कई वर्षों से बिजली पानी निशुल्क दिए जाने की मांग सहित पर्वतीय लोगो के हक़ – हुकूक की लड़ाई लड़ रहे है। किशोर उपाध्याय कि COVID-19 के इस संघर्ष के दौर में उत्तराखंड के निवासी गहरे संकट के दौर से गुजर रहे हैं। ऐसा कोई वर्ग नहीं है, जो प्रतिकूल रूप से आज ज़िन्दा रहने के लिये संघर्ष न कर रहा हो। विशेषतः युवा पीढ़ी, महिलायें व शिक्षार्थी।उन्होंने कहा कि व्यापार तो चौपट हो गया है। 60 से अधिक नौजवान आत्महत्या कर चुके हैं। आज उत्तराखंड की दुर्दशा के लिये हम खुद ज़िम्मेदार हैं, हमने अपने पुश्तैनी हक़-हक़ूक़ों पर कभी बात ही नहीं की।
इसकी शुरुआत हम 8 सितम्बर को हरिद्वार नगर निगम धरने के साथ हुई। जहा सभी ने अपने पितरों को नमन करते हुए श्राद्ध पक्ष में अपने हक़-हक़ूक़ों को लेने का संकल्प लिया।अपने पुश्तैनी हक़-हकूक़ों और वनाधिकारों तथा FRA-2006 के आलोक में अपने वनाधिकार लेने के लिए समर्पित हुए। धरने के दौरान बिजली-पानी के बिलों जलाया।
आपको बता दे कि वनाधिकार अधिकारों को लेकर किशोर पिछले कई सालो से लड़ाई लड़ रहे है। इतना ही नहीं उत्तराखंड वनाधिकार कांग्रेस या वनाधिकार आंदोलन तैयारियों लेकर उत्तराखण्ड के हर जिलों में जिलाध्यक्ष तक नियुक्त किए जा चुके है। इसकी वानगी उस समय देखने को मिली जब कांग्रेस के कुछ विशेष सदस्यों द्वारा किशोर के लिए हरिद्वार में संजीविनी करते हुए उत्तराखण्ड वनाधिकार कांग्रेस के बैनर तले प्रेस वार्ता कर 8 सितम्बर शुरू होने वाले आंदोलन की चर्चा की। इतना ही नहीं इस धरने में वह पुराने कोंग्रेसी चेहरे दिखे जो प्रीतम गुट को आँखो नहीं समाते है। इतना ही नहीं सभी हुंकार भी भरी।
खैर ,अब आने वक्त ही बताएगा कि किशोर उपाध्याय आगामी 2022 के चुनाव में कांग्रेस का चेहरा बनते है या उत्तराखण्ड वनाधिकार कांगेस को आगे बढ़ाते है या फिर आम आदमी पार्टी का दामन थमते है। यह एक यक्ष प्रश्न है।
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