(ब्यूरो,न्यूज 1 हिन्दुस्तान)
हरिद्वार। देहरादून के क्वॉरेंटाइन सेंटर में युवक की आत्महत्या के मामले में सेंटर के नोडल अधिकारी और एक डॉक्टर के निलंबन के मामले में आयुष डॉक्टरों ने कड़ा एतराज जताते हुए अव्यवस्थाओं पर सिस्टम को घेरा है। भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के सदस्य और जाने-माने आयुष चिकित्सक डॉ महेंद्र राणा ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत को पत्र लिख कर डाक्टरों के निलंबन को अनुचित बताते हुए वापस लेने की मांग की है।
डॉ महेंद्र राणा ने कहा कि डॉक्टर अपनी जान की परवाह किए बगैर कोरोंटिन सेंटरों में सीमित संसाधनों के साथ काम कर रहे हैं जबकि उन्हें पीपीई किट भी नहीं दी जा रही है। इसके बावजूद अपना वह फर्ज बखूबी निभा रहे हैं लेकिन जहां तक व्यवस्थाओं का सवाल है यह पूरी तरीके से प्रशासन की जिम्मेदारी है। लेकिन प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए आत्महत्या के मामले में दोनों डाक्टरों को बलि का बकरा बना दिया ,जो की सरासर नाइंसाफी है।
डॉ राणा ने कहा की कोरोंटिन सेंटरों में अव्यवस्था कोई नई बात नहीं है। पहले भी इस तरह के मामले मीडिया में आते रहे है। अव्यवस्थाओं को लेकर नोडल अफसर और अन्य डाक्टरों की ओर से लिखित में कई बार आला अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका था। डॉ राणा ने सवाल पूछा कि 100 लोगों की क्षमता वाले सेंटर में क्षमता से अधिक लोग रखे गए थे आखिर क्यों ? साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों ने अव्यवस्थाओं पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की ? ऐसे में कोरोना के खिलाफ जंग में पहली पंक्ति में खड़े हमारे डॉक्टर्स साथी कैसे दोषी हो सकते हैं ? उन्होंने निलंबन को अनुचित बताते हुए इसे डॉक्टरों का मनोबल तोड़ने वाला कदम बताया है साथ ही उन्हें उनके निलंबन को वापस किए जाने की मांग मुख्यमंत्री को लिखे पत्र द्वारा की है।