( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
ग़ज़ियाबाद। भारतवर्ष के प्राचीन और ऐतिहासिक तीर्थस्थलों में से एक शिवशक्ति धाम डासना में अब एक नया इतिहास रचने की तैयारी हो रही है।शिवशक्ति धाम डासना के पीठाधीश्वर यति नरसिंहानन्द सरस्वती जी महाराज ने सनातन वैदिक राष्ट्र की स्थापना,सनातन धर्म तथा सनातन धर्म को मानने वालों की बेटियो और परिवार सहित रक्षा,सनातन धर्म के सभी शत्रुओ के समूल विनाश तथा महायज्ञ में भाग लेने और सहयोग करने वाले सभी भक्तगणों की सात्विक मनोकामनाओं की पूर्ति के हेतु विजय और सदबुद्धि की देवी व शत्रुविनाशिनी माँ बगलामुखी और महादेव का मानव इतिहास का सबसे बड़ा महायज्ञ आयोजित करने का संकल्प लिया है।
अपने संकल्प के विषय मे बताते हुए यति नरसिंहानंद सरस्वती जी महाराज ने अपने शिष्यों से कहा की आज सनातन धर्म पर अभूतपूर्व संकट है।विश्व की सभी शक्तियां सनातन धर्म को लील जाना चाहती हैं। इतने गहन संकटो के बाद भी सनातन धर्म के मानने वाले अपने धर्म की रक्षा के लिये कुछ भी नहीं कर रहे हैं।वस्तुतः वो नहीं जानते कि धर्म के विनाश के साथ ही उनका,उनके परिवार का और उनके अस्तित्व का सम्पूर्ण नाश हो जाएगा।सच तो ये है कि सनातन धर्म और हिन्दू समाज को असली खतरा बाहरी शक्तियों से उतना नहीं हैं जितना अपनी कायरता, अकर्मण्यता और कमीनेपन से है।हिन्दुओ को बाहरी शत्रुओ से लड़ते हुए अपने अंदर के इन तीन शत्रुओ को भी पराजित करना ही पड़ेगा।दैवीय शक्तियां कभी भी हमारे लिये किसी से युद्ध नहीं कर सकती परन्तु यदि माँ बगलामुखी और महादेव हम पर प्रसन्न हो तो वो हमें सदबुद्धि,साहस,मनोबल और शक्ति प्रदान करते हैं जो विजय का मार्ग प्रशस्त करने के लिये सबसे जरूरी हैं।माँ बगलामुखी और महादेव के अमोघ मन्त्रो काC जप और यज्ञ सनातन धर्म को इन सब प्रकार के संकटो से छुटकारा दिलाने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि जितना बड़ा संकट है,उसी के अनुसार महायज्ञ का संकल्प लिया जाना चाहिये। संकट को देखते हुए किये जाने वाला यह महायज्ञ मानव इतिहास का सबसे बड़ा महायज्ञ होगा जो अनन्त काल तक चलता रहेगा ताकि माँ और महादेव की शक्तियां सदैव सनातन धर्म के मानने वालों पर कृपा करती रहें और सनातन धर्मी सदैव बाहरी आक्रमणों से रक्षित रहे।इस महायज्ञ का शुभारंभ इस सोमवार 23 नवम्बर प्रातः 9 बजे से आरम्भ होगा।यह महायज्ञ का शुभारंभ मन्दिर से होगा जहाँ यह प्रतिदिन किया जाएगा परन्तु जैसे जैसे लोग जुड़ते जायेगे यह महायज्ञ दुनिया के हर भाग में आयोजित किया जाएगा।
उन्होंने अपने शिष्यो को आदेश दिया कि यह महायज्ञ उनकी मृत्यु के दिन भी नही रुकना चाहिये और यह जिम्मेदारी उनके शिष्यों की है कि वो सदैव धर्मयुद्ध लड़ने वालों की रक्षा के यह महायज्ञ करते रहे। संकल्प लेते समय अनिल यादव के साथ यति सेवानन्द सरस्वती,यति सत्यदेवानंद सरस्वती,यति शिवानन्द सरस्वती तथा अन्य शिष्यगण उपस्थित थे।