( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून / पिथौरागढ़। उत्तराखण्ड के 11 वे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले पुष्कर सिंह धामी का ताल्लुक सीमन जिले पिथौरागढ़ के टुंडी गांव से है। उनके सीएम बनाने के बाद वह के लोगो को अब उम्मीद है कि उनके गांव के दिन बहुरेंगे। क्योंकि गांव का बेटा राज्य का मुख्यमंत्री बना है। जी हां, नेपाल की सीमा के बहुत करीब स्थित टुंडी धामी का पुश्तैनी गांव है, लेकिन यहां पहुंचने के लिए सड़क न होने, इमरजेंसी की स्थिति में लोगों को मरीज़ों को मुश्किल हालात में कई किलोमीटर दूर ले जाने जैसे कारणों से यह ज़्यादा चर्चा में रहा है । इस गांव और धामी के इससे रिश्ते के बारे में जानिए।
भारत और नेपाल की सीमा पर डीडीहाट तहसील में बमरो ग्राम पंचायत के तहत यह गांव आता है, जहां से सड़क पांच किलोमीटर दूर है, तो सबसे पास जो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है, वह 20 किलोमीटर दूर है। यहां के लोगों का कहना है कि पहाड़ी इलाके में बसे इस गांव में करीब 25 परिवार रहते हैं यानी 100 से ज़्यादा की आबादी है, लेकिन मेडिकल इमरजेंसी के हालात में लोग बेबस हो जाते हैं। बूढ़े या गंभीर बीमारों को पालकियों या खटोलों के ज़रिये कंधों पर उठाकर ले जाया जाता है, और गर्भवतियों की मुश्किलें तो पूछिए ही मत।
बमरो ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान विश्राम राम की मानें तो टुंडी गांव में गर्भवती महिलाओं को इसलिए भी भारी तकलीफ होती है क्योंकि यहां से एएनएम सेंटर भी 7 किलोमीटर दूर है। इस बारे में टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया कि गर्भवतियों को ठीक देखभाल मिलना भी मुश्किल हो जाता है। कुछ ग्रामीण यह भी बताते हैं कि बीमार होने पर वो अस्पताल तक पहुंच ही नहीं पाते। यहां समस्याएं इतनी ही नहीं, और भी हैं !
टुंडी की ज़मीन उपजाउ है इसलिए यहां आम, लीची और अन्य फलों की पैदावार अच्छी होती है, लेकिन सड़क से सीधा संपर्क न होने के कारण यहां के लोगों को अपनी उपज के लिए बाज़ार और दाम मौके पर नहीं मिल पाते। यह गांव शिक्षा के मोर्चे पर भी मदद चाहता है। रिपोर्ट के मुताबिक एक टुंडीवासी का कहना है कि बमरो के हाई स्कूल में सिर्फ तीन टीचर हैं जबकि यहां कम से कम सात शिक्षकों की ज़रूरत है। बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो, इसके लिए भी लोग सीएम धामी की तरफ उम्मीद से देख रहे हैं। लेकिन सीएम को क्या याद है यह गांव ?
टुंडी गांव से पुश्तैनी रूप से पुष्कर सिंह धामी का ताल्लुक तो है, लेकिन सीधा जुड़ाव कितना रहा है? सेना में सेवाएं देने वाले धामी के पिता 1980 के दशक में उधमसिंह नगर के खटीमा में शिफ्ट हो गए थे। यानी धामी की बहुत बचपन की ही यादें इस गांव से जुड़ी हैं। फिर भी अब गांव के लाल धामी के सीएम बनने से लोगों को उम्मीद है कि हालात सुधरेंगे। हालांकि कनालीछीना के बीडीओ बलराम सिंह बिष्ट के हवाले से कहा गया है कि फिलहाल टुंडी में रोड कनेक्टिविटी के लिए कोई प्लान नहीं है।