( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखंड में शुरुआती अव्यवस्था के बाद चारधाम यात्रा पटरी पर लौटती दिख रही है। खासकर, यात्री सुविधाओं की एवज में मनमाने दाम वसूलने की शिकायतें पहले से कम हुई हैं।
सरकारी की सख्ती के बाद यमुनोत्री धाम में साढ़े पांच किलोमीटर पैदल मार्ग की दूरी तय करके लिए डंडी-कंडी और घोड़ा-खच्चर की सुविधा के लिए प्री-पेड टोकन व्यवस्था लागू हो गई है। तीन मई को यात्रा शुरू होने के बाद ये यहां इन सुविधाओं के लिए निर्धारित किराये से दस गुणा तक ज्यादा वसूला जा रहा था। खैर, अब श्रद्धालु राहत महसूस कर रहे हैं।
मनमानी करने वालों को दंडित कर रहा प्रशासन
अच्छी बात यह कि प्रशासन मनमानी करने वालों को दंडित कर रहा है। चारों धामों में खाद्य वस्तुओं की गुणवत्ता को लेकर भी जिम्मेदारों की नींद टूटी है, नियमित अंतराल में सैंपलिंग होने लगी है। व्यवस्था बनाने के उद्देश्य से बगैर पंजीकरण के यात्रा के लिए पहुंच रहे श्रद्धालुओं को सीमाओं पर बने चेक पोस्ट से लौटाया जा रहा है।
यात्रा रूट के चेक पोस्टों पर पहले की तुलना में दस्तावेज देखने का क्रम तेज हुआ है। कुल मिलाकर यात्रा के शुरुआती दिनों में श्रद्धालु जिन अव्यवस्थाओं से परेशान हो रहे थे, वह कुछ हद तक पटरी पर आ गई हैं। यद्यपि पंजीकरण की व्यवस्था के झोल अभी भी यात्रियों के लिए परेशानी का कारण बने हुए हैं।
चारों धाम की यात्रा करने के लिए पंजीकरण कराने वालों को अव्यावहारिक स्लाट उपलब्ध हो रहे हैं। मसलन, उनकी यात्रा गंगोत्री से शुरू होकर केदारनाथ, बदरीनाथ होते हुए आखिर में यमुनोत्री में पूरी होगी। जबकि, परंपरागत तौर पर चारधाम यात्रा यमुनोत्री से शुरू होकर बदरीनाथ में पूरी की जाती है।
यात्रियों को आवंटित स्लाट अव्यावहारिक
धामों के दर्शन के लिए यात्रियों को आवंटित स्लाट भौगोलिक और आर्थिक दोनों ही दृष्टिकोण से अव्यावहारिक हैं। ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिनमें यात्रियों को एक ही दिन में चारों धाम के दर्शन के स्लाट आवंटित किए गए हैं। विडंबना यह कि पंजीकरण केंद्रों का स्टाफ साफ्टवेयर के माध्यम से स्वत: स्लाट आवंटन होने का हवाला देकर श्रद्धालुओं की मदद करने में असमर्थता जाहिर कर रहा है। कारण जो भी हों, लेकिन इससे श्रद्धालुओं के सामने अजीबोगरीब स्थितियां पैदा हो रही हैं।
पुष्कर सिंह धामी की सरकार को इस समस्या के निदान के लिए गंभीरता से प्रयास करने चाहिए। चार धाम यात्रा मार्गो पर यातायात जाम और बिजली-पानी की दिक्कतें भी बनी हुई हैं। भीड़ प्रबंधन की चुनौती बरकरार है। इन सभी के लिए अतिरिक्त प्रयास करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस प्रकार के प्रयास इसलिए और भी आवश्यक हैं कि पर्यटक राज्य से अच्छी स्मृतियों के साथ वापस लौटें और दोबारा यहां का दौरा करने के लिए तत्पर दिखें।
उम्मीद है राज्य सरकार इन सभी पहलुओं पर गहनता से विमर्श करके व्यावहारिक कदम उठाने की दिशा में आगे बढ़ेगी। स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश होने के चलते आने वाले दिनों में उत्तराखंड में तीर्थयात्रियों और सैलानियों की भीड़ अधिक बढ़ने के आसार दिख रहे हैं। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए अपेक्षित व्यवस्थाएं की जानी चाहिए। चार धाम यात्रा से राज्य की छवि जुड़ी हुई है।