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उपनल का रोजगार  विधेयक, सैनिकों एवं गैर सैनिकों दोनों से छलावा | आखिर क्यों ? जाने 

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# पूर्व में सैनिक पृष्ठभूमि के लोगों का रोजगार का जरिया था, लेकिन रोजगार मिलता था गैर सैनिकों को |       

# सैनिकों को वैकेंसी न होने का बहाना बनाकर  टरकाया  जाता था |       

# गैरसैनिकों को यह कहकर टरकाया जाता था कि यह सिर्फ सैनिकों के लिए आरक्षित है |              # रोजगार मिलता था सिर्फ सेटिंग-गेटिंग वालों को |                          

# सैनिकों को सिर्फ मिलती थी सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी, जिसकी थी बाध्यता |             

# राजभवन सरकार के फैसले पर करे हस्तक्षेप |                 

( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )

विकासनगर। जन संघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि अभी 2 दिन पहले सरकार द्वारा  उपनल के जरिए सैनिकों एवं ग़ैर सैनिक पृष्ठभूमि के लोगों को रोजगार संबंधी विधेयक लाया गया है ,जोकि सैनिक पृष्ठभूमि एवं ग़ैर सैनिक पृष्ठभूमि के लोगों से बहुत बड़ा खिलवाड़ है | सरकार इसके जरिए अपने खास चाहतों को समायोजित करना चाहती है | नेगी ने कहा कि पूर्व में उपनल सैनिक पृष्ठभूमि एवं उनके परिवारों को रोजगार का जरिया था, लेकिन उपनल के अधिकारियों ने सांठगांठ कर बड़े पैमाने पर नौकरियां गैरसैनिक पृष्ठभूमि के लोगों को दी | सैनिकों को यह कहकर टरकाया जाता था कि अभी वैकेंसी नहीं है तथा गैर सैनिकों से यह कहा जाता था कि यह सिर्फ सैनिकों के लिए आरक्षित है, इस प्रकार इस खेल में सिर्फ सेटिंग- गेटिंग वालों से विभागों के जरिए मोटी रकम लेकर ही नौकरियां दी जाती थी | महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि विभागों में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी हेतु सिर्फ सेवानिवृत्त सैनिकों को ही रखे जाने का प्रावधान था, इसलिए इन पदों पर गैर सैनिकों को ये लोग नहीं रख पाए |

अगर आंकड़ों की बात की जाए तो पूर्व में हजारों गैर सैनिक लोगों को रोजगार दिया गया तथा  सैनिक पृष्ठभूमि के लोगों को मात्र 30- 40 फ़ीसदी | तीन -चार साल पहले मा. उच्च न्यायालय ने उपनल के जरिए सिर्फ सैनिक पृष्ठभूमि के लोगों को ही रोजगार प्रदान किए जाने संबंधी आदेश जारी किए थे, जोकि एक सराहनीय कदम था | नेगी ने कहा कि पूर्व में   उपनल जब गैर सैनिक पृष्ठभूमि के लोगों को नौकरियां बांटता था तो उसमें यह उल्लेख करता था कि कोई काबिल सैनिक पृष्ठभूमि का व्यक्ति उपलब्ध नहीं है, जिसका मोर्चा द्वारा भारी विरोध किया गया था | यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि आर्म्ड फोर्सेज में रिटायरमेंट की उम्र उसके प्रमोशन पाने के हिसाब से निर्धारित होती है न कि सरकारी नौकरियों की तरह 58-60 साल | कई सैनिक को प्रमोशन नहीं मिल पाता तथा कई एक आध प्रमोशन पाने के बाद 34-35वर्ष की उम्र में ही रिटायर हो जाते हैं तथा उनके सामने जिम्मेदारियों का बोझ खड़ा होता है इसलिए उपनल जिम्मेदारियों का बोझ उठाने हेतु गठित किया गया था | इस विधेयक के आने से निश्चित तौर पर सैनिक पृष्ठभूमि एवं सिफारिश विहीन युवाओं से खिलवाड़ का खेल खेला जाएगा | मोर्चा राजभवन से मांग करता है कि सरकार के फैसले को मंजूरी न दे |

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