( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून / हरिद्वार। उत्तराखण्ड अपने विधानसभा चुनाव अभियान का बिगुल फूँक चुकी है और अब पार्टी के राष्ट्रिय स्तर के नेताओ का दौरा भी शुरू हो गया है। इसी क्रम में 15 और 16 नवंबर को उत्तराखंड के दौरे पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा आएंगे और यहां चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे। पिछले दिनों उत्तराखंड में आई आपदा से सबसे ज़्यादा प्रभावित रहे कुमाऊं में खास तौर से नड्डा फोकस करेंगे। इससे पहले 11 और 12 नवंबर केंद्रीय चुनाव प्रभारी प्रहलाद जोशी, राज्य प्रभारी दुष्यंत गौतम और सह प्रभारी रेखा वर्मा के राज्य में दौरे होंगे। यही नहीं, बीजेपी ने किस तरह से चुनावी रणनीति तैयार की है, इसे लेकर चर्चा भी होगी और पीएम मोदी के आगामी दौरों के बारे में भी अहम बातें तय की जाएंगी।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा अपने चुनाव प्रचार अभियान में राष्ट्रीय नेतृत्व समेत बड़े नेताओं को चुनाव मैदान में स्टार प्रचारक के तौर पर लाने की मुहिम शुरू कर चुकी है। गुरुवार से उत्तराखंड के दौरे पर प्रभारियों का आना शुरू हो जाएगा। 12 नवंबर को ही बीजेपी की इलेक्शन मैनेजमेंट कमेटी की बैठक भी होगी। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक के नेतृत्व में बनी इस कमेटी में सांसद अनिल बलूनी और पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत जैसे भाजपा के कई नेता शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक इस कमेटी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी उत्तराखंड दौरों को लेकर अहम बातें तय हो सकती हैं।
आज हरिद्वार में सीएम धामी
उत्तराखंड स्थापना दिवस के 7 दिवसीय समारोह के तहत बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा के दौरे के बाद हरिद्वार दौरे पर होंगे। सीएम सबसे पहले गोपाष्टमी महापर्व के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग करेंगे उसके बाद वह ग्राम मानुबांस में ज्वालापुर विधायक सुरेश राठौर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रतिभाग करने के उपरांत दोपहर बाद वह संस्कृत विश्वविधयालय और फिर हरिद्वार – रुड़की प्राधिकरण द्वारा प्रस्ताविक आवासीय योजनाओ शिलान्यास करेंगे।
छठ पर छुट्टी का ऐलान
उत्तर और पूर्व भारत में विशेष तौर से मनाए जाने वाले त्योहार छठ पूजा के लिए सीएम धामी सरकार ने उत्तराखंड में बुधवार को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा कर दी थी। जो की अब सार्वजानिक अवकास के रूप में रहेगा। बीते सोमवार को राज्य सरकार ने यह फैसला करते हुए यह भी कहा कि ट्रेजरी विभाग के लिए नहीं रहेगा। गौरतलब है कि बिहार और झारखंड में मुख्य रूप से इस पर्व को मनाया जाता है और कम से कम तीन दिनों तक इससे जुड़े रीति रिवाज एवं कार्यक्रम चलते हैं। उत्तराखंड में भी एक बड़ा वर्ग इस पर्व से जुड़ाव रखता है।