( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
रुद्रपुर। उत्तराखण्ड राज्य गठन के बाद जिला मुख्यालय और सितारगंज में सिडकुल की स्थापना इस उददेश्य से की गई थी। यहां के लोगों को रोजगार मिल सके, लेकिन सिडकुल में जैसे ही उद्योग-धंधे चालू हुए। वैसे ही सिडकुल कंपनी प्रबंधन और श्रमिकों के बीच तालमेल की कमी देखने को मिली। इसका परिणाम यह रहा कि सिडकुल की स्थापना से लेकर वर्ष 2022 तक कई कंपनियों में श्रमिक आंदोलन शुरू होने लगे ,और अब तक लगभग 11 कंपनिया बंद हो चुकी है।
सिडकुल में लगातार फैल रही अशांति की वजह से औद्योगिक आस्थानों का माहौल भी खराब होता जा रहा है। यहीं कारण है कि श्रमिक आंदोलन और कंपनी प्रबंधन के बीच आपसी तालमेल नहीं बनने के कारण ग्यारह कंपनियों ने ताला लगाकर श्रम विभाग को कंपनी बंद होने की सूचना भेज दी है। जिससे सैकड़ों की तादाद में श्रमिक भी प्रभावित हुए है। ऐसे में श्रम विभाग की भूमिका पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।
जिसको लेकर श्रम विभाग ने दोनों पक्षों की वार्ता भी करवाई। मगर दोनों पक्षों में आपसी सहमति नहीं बनने की वजह से उद्यमियों ने कंपनियों मे ताले लगाना का मन बना लिया। श्रम विभाग कार्यालय से मिले आंकडों पर नजर डाले, तो सिडकुल सितारगंज एमकॉर फलैक्सीबल प्राइवेट लिमिटेड, वैडर पराज एग्जिम गोल्ड़ काशीपुर रोड़ रुद्रपुर, बोल्टास लिमिटेड सिडकुल पंतनगर, एसोसिएट एप्लाईसेंस, ऐरा बिल्डसिस लिमिटेड, एचसीएल इम्फोसिस लिमिटेड, समृद्धि इंडस्ट्रीज लिमिटेड, डेल्फी टीवीएस डीजल सिस्टम लिमिटेड, कोरस प्रिंटर टैक्नोलॉजी पंतनगर सिडकुल और आटोडेकोर प्राइवेट लिमिटेड किशनपुर किच्छा और जायडस प्रोडक्टस लिमिटेड सितारगंज की कंपनी पूर्णतया बंद हो गई है।
जिसकी लिखित सूचना कंपनी प्रबंधन द्वारा श्रम विभाग को भेज दी है। वहीं श्रम विभाग ने कंपनियों में तालाबंदी की मुख्य वजह श्रमिक आंदोलन और कंपनी प्रबंधन के साथ आपसी तालमेल की कमी को माना है। ग्यारह उद्योग धंधे बंद होने से स्थाई 506 श्रमिकों का रोजगार छीन गया है। ऐसे में औद्योगिक आस्थानों में लगातार फैल रही अशांति को रोकने पर श्रम विभाग असक्षम नजर आ रहा है।
श्रम विभाग के उप श्रमायुक्त विपिन कुमार की माने तो सिडकुल के अलावा उद्योग-धंधों में आंदोलित श्रमिकों और कंपनी प्रबंधन के बीच वार्ता करवाकर समझौते का प्रयास किया जाता है। कई मामलों में दोनों पक्षो के बीच सहमति नहीं बन पाती है। तो कई मामलों में कंपनी प्रबंधन आंदोलन का हवाला देकर कंपनियों में तालाबंदी कर श्रम विभाग को सूचित कर देते है।