BHEL Haridwar big strategic move Haridwar MoU signed Slider States Uttarakhand

बड़ी खबर : बीएचईएल ने देश के कोयला भंडार का दोहन करने के उद्देश्य से उठाया बड़ा रणनीतिक कदम, CIL और NLCIL के साथ MOU पर किए हस्ताक्षर। आखिर क्या और क्यों ? Tap कर जाने

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( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )

हरिद्वार।  देश में उपलब्ध कोयले और लिग्नाइट के विशाल भंडार का लाभप्रद उपयोग करने के उद्देश्य से कोयला गैसीकरण आधारित संयंत्रों को स्थापित करने के लिए भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) ने कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और एनएलसी इंडिया लिमिटेड (एनएलसीआईएल) के साथ रणनीतिक सहमति ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इन सहमति ज्ञापनों के तहत, बीएचईएल और सीआईएल संयुक्त रूप से अधिक राख पैदा करने वाले भारतीय कोयला गैसीकरण पर आधारित कोयला से अमोनियम नाइट्रेट बनाने वाली परियोजना की स्थापना करेंगे। इसके अलावा, बीएचईएल और एनएलसीआईएल, बीएचईएल की स्वदेशी रूप से विकसित प्रेशराइज्ड फ्लुइडाइज्ड बेड गैसीफिकेशन (पीएफबीजी) तकनीक का उपयोग करते हुए संयुक्त रूप से विद्युत उत्पादन के लिए लिग्नाइट आधारित गैसीकरण पायलट प्लांट की स्थापना करेंगे। राष्ट्रीय कोयला गैसीकरण मिशन के तहत 100 मिलियन मीट्रिक टन कोयले के गैसीकरण के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा । 

भारी उद्योग मंत्री,डॉ महेंद्र नाथ पाण्डेय, संसदीय कार्य, खान और कोयला मंत्री  प्रह्लाद जोशी तथा सदस्य, नीति आयोग डॉ वी. के. सारस्वत की उपस्थिति में एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।  निदेशक (पावर) और निदेशक (मानव संसाधन)  उपिंदर सिंह मठारू, अतिरिक्त प्रभार, बीएचईएल,देबाशीष नंदा, निदेशक (बिजनेस डेवलपमेंट), सीआईएल तथा के. मोहन रेड्डी, निदेशक (प्लानिंग एंड प्रोजेक्ट्स), एनएलसीआईएल ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस समारोह के दौरान सचिव (भारी उद्योग) अरुण गोयल, सचिव (कोयला)डॉ अनिल कुमार जैन, सीएमडी डॉ.  नलिन सिंघल, बीएचईएल,  सीएमडी, सीआईएल  प्रमोद अग्रवाल तथा संबंधित मंत्रालयों के अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण भी उपस्थित रहे।बीएचईएल स्वदेशी कोयला गैसीकरण प्रौद्योगिकी यानि पीएफबीजी के विकास में संलग्न एक अग्रणी संगठन है और इसने उच्च राख वाले भारतीय कोयले को सफलतापूर्वक गैसीकृत किया है। इससे पहले, इस तकनीक का उपयोग बीएचईएल तिरुचि में 6.2 मेगावाट क्षमता वाला आईजीसीसी आधारित कंबाइंड साइकिल प्लांट स्थापित करने के लिए किया गया था।गौरतलब है कि 75% भारतीय कोयले में राख की मात्रा अधिक होती है और विदेशों में विकसित तकनीक इस प्रकार के कोयले के उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं है। इस प्रकार के कोयले के लिए बीएचईएल की पीएफबीजी तकनीक सबसे उपयुक्त है। कंपनी पहले ही उच्च राख वाले भारतीय कोयले से मेथनॉल बनाने वाले भारत के पहले पायलट प्लांट (0.25 टीपीडी) को कॉर्पोरेट आर एंड डी, हैदराबाद में सफलतापूर्वक स्थापित कर चुकी  है। जनवरी, 2022 में इस पायलट प्लांट को माननीय भारी उद्योग मंत्री द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया था। इस तकनीक के व्यावसायीकरण के लिए तथा कोयला गैसीकरण आधारित व्यवसायों के लिए एंड-टू-एंड समाधान प्रदान करने हेतु चल रही ईपीसी परियोजनाओं का निष्पादन करने के लिए बीएचईएल की एक समर्पित टीम मिशन मोड में काम कर रही है।  कोयला गैसीकरण प्रौद्योगिकी न केवल भारत के विपुल  कोयला भंडार के संधारणीय तरीके से लाभप्रद  उपयोग और बहूमूल्य रसायनों के स्वदेशी उत्पादन में मदद करेगी, बल्कि इंटिग्रेटेड गैसीफिकेशन कंबाइंड साइकल (आईजीसीसी) प्रौद्योगिकी के माध्यम से विद्युत  उत्पादन को भी बढ़ावा दे सकती है। यह प्रौद्योगिकी माननीय प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के अनुरूप, इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को और अधिक गति प्रदान करेगी।

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