(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून।कांग्रेस है कमान ने उत्तराखण्ड के तमाम कोंग्रेस के बड़े नेताओ को दिल्ली तलब किया है। माना जा रहा है कि शुक्रवार की सुबह 10 बजेसभी नेताओं की बैठक प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और सह प्रभारी दीपिका पांडेय सिंह के साथ होगी। आलाकमान के साथ भी उस विवाद को लेकर बातचीत हो सकती है, जो उत्तराखंड के चुनाव कैंपेन कमेटी के प्रभारी हरीश रावत के बुधवार के सिलसिलेवार ट्वीट्स के बाद खड़ा हुआ।
सोशल मीडिया पर हरीश रावत ने पार्टी के भीतर गुटबाज़ी को लेकर दुख जताते हुए लिखा था कि उनके संगठन के लोग ही उनके काम में अड़चन बन रहे हैं। रावत की नाराज़गी उनके अधिकारों में हस्तक्षेप और पाबंदियों को लेकर रही है, जिसके बारे में रावत ने साफ संकेत देते हुए लिखा था कि वह राजनीति से संन्यास या कांग्रेस पार्टी से अलग होने के बारे में विचार कर रहे हैं। एक तरह से कांग्रेस को चेतावनी देते हुए रावत ने लिखा था कि वह नए साल में कोई बड़ा कदम उठा सकते हैं। इसके बाद से ही उत्तराखंड की राजनीति में हड़कंप सा मचा हुआ है।
हरीश रावत प्रभारी से चल रहे हैं नाराज़
सूत्रों के अनुसार हरीश रावत उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की सभी रणनीति अपने अनुसार चाहते हैं, लेकिन पार्टी के प्रदेश प्रभारी और उनके गुट के अन्य नेता उन्हें सहयोग नहीं कर रहे हैं। इसे लेकर हरीश रावत ने जो ट्वीट किए थे, उससे हंगामा खड़ा हुआ और अब कांग्रेस डैमेज कंट्रोल में जुटी है। दिल्ली में प्रभारियों के साथ बैठक में बात नहीं बनी, तो राहुल गांधी इस मामले में हस्तक्षेप कर सकते हैं।
‘आप जो बोते हैं, वही काटते हैं’
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हरीश रावत के ट्वीट्स के जवाब में एक ट्वीट करते हुए लिखा, ‘आप जो बोते हैं, वही काटते हैं। हरीश रावत जी, आपको भविष्य के उद्यमों (अगर कुछ हैं भी तो) के लिए शुभकामनाएं। ’ बता दें कि इससे पहले भाजपा ने कटाक्ष करते हुए बुधवार को कहा था कि हरीश रावत कांग्रेस पार्टी के लिए उत्तराखंड के कैप्टन अमरिंदर सिंह हो सकते हैं।
रावत के ट्वीट्स के बाद हालांकि प्रीतम सिंह की ओर से बयान आया था कि उन्हें रावत की नाराज़गी का कारण पता नहीं है। माना जा रहा है कि कांग्रेस की आपसी गुटबाज़ी और अंतर्कलह का कारण विधानसभा चुनाव में टिकटों का बंटवारा है और उत्तराखंड कांग्रेस के दोनों प्रभावशाली गुट इसे वर्चस्व की लड़ाई बना चुके हैं। अब बात आलाकमान तक पहुंच रही है और एक बार फिर चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस के भीतर फूट साफ तौर पर सामने आ रही है।