( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव 2022 के नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। वही उत्तराखंड की कुल 70 विधानसभा सीटों में से बहुमत का अकड़ा पार कर पाना हर राजनैतिक पार्टी टेढ़ी खीर साबित हुई है। इस बार भाजपा और कांग्रेस के साथ ही अन्य पार्टियों के भीतर असंतोष जिस तरह नज़र आ रहा है, अंदेशा यही है कि हर पार्टी के गणित भीतर की बगावत ही बिगाड़ सकती है। हालांकि नामांकन वापसी की अंतिम तिथि 31 जनवरी है इसलिए पार्टियों को यह उम्मीद भी है कि उनके प्रत्याशियों के खिलाफ बागी हुए नेताओं को मैनैज कर लिया जाएगा।
राज्य में खास तौर पर, भाजपा और कांग्रेस के भीतर बगावत के रंग दो ढंग से दिख रहे हैं। एक तो नाराज़ नेता घोषित या अधिकृत प्रत्याशियों से अलग चुनावी मैदान में निर्दलीय उतर रहे हैं या दूसरे किसी और पार्टी से टिकट जुगाड़ रहे हैं। इन दोनों तरीकों की दो बड़ी मिसालें इस तरह हैं। रुद्रपुर सीट से बीजेपी के मौजूदा विधायक राजकुमार ठुकराल ने टिकट न मिलने पर निर्दलीय के तौर पर परचा भर दिया है। वहीं, हॉट सीट बन गई टिहरी पर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने बीजेपी से टिकट पाया है, तो बीजेपी के सिटिंग विधायक धनसिंह नेगी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।
लालकुआं, रामनगर… कांग्रेस पर भारी पड़ेंगे बागी?
कांग्रेस ने पूर्व सीएम हरीश रावत की सीट रामनगर से बदलकर लालकुआं की, तो यहां पहले उम्मीदवार घोषित की गईं संध्या डालाकोटी को मनाने के लिए रावत ने मुलाकात भी की, लेकिन संध्या ने निर्दलीय परचा भर दिया है। इधर, रामगनर में भी मान मनौव्वल की तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस में बगावत हो गई। कांग्रेस ने महेंद्र पाल को रामनगर से प्रत्याशी बनाया, तो हरीश रावत समर्थक संजय नेगी ने निर्दलीय के तौर पर नॉमिनेशन फ़ाइल कर दिया है।
कांग्रेस की परेशानी दो नहीं, बल्कि और भी कुछ सीटों पर है। बागेश्वर में बागी हुए भैरवनाथ टम्टा ने परचा भरा है, तो सहसपु सीट से कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री और पूर्व राज्यमंत्री आकिल अहमद ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर ताल ठोक दी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेसी लंबे समय से सहसपुर पर स्थानीय को टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने बाहरी को टिकट दिया, तो कार्यकर्ता नाराज़ हैं। इस तरह की नाराज़गी कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है।
भाजपा के भीतर कैसे हो रही है बगावत?
कोटद्वार सीट बीजेपी के लिए अखाड़ा बन गई है। यहां से पूर्व सीएम बीसी खंडूरी की बेटी और विधायक ऋतु खंडूरी को भाजपा ने टिकट दिया, तो दावेदारी करने वाले पूर्व जिलाध्यक्ष धीरेंद्र चौहान ने निर्दलीय के तौर पर हुंकार भर दी। चौहान का टिकट लगभग तय था, लेकिन ऐन वक्त पर बदलाव हुआ, तो वह बागी हो गए। ऐसे ही यमुनोत्री से पूर्व राज्य मंत्री जगबीर भंडारी को टिकट की आस थी, लेकिन अब वो भी निर्दलीय हैं।