( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिंदुस्तान )
देहरादून। कोरोना की दूसरे दौर ने उत्तराखण्ड पर चौतरफा हमला किया है। तेज़ी से फैले संक्रमण और फिर कर्फ्यू के चलते राज्य की आर्थिक स्थितिपहले से ही कर्ज में डूबे उत्तराखंड सरकार को एक बार फिर लोन का सहारा लेना पड़ सकता है। क्योकि कोरोना महामारी के चलते वित्तीय वर्ष के शुरुआती दो महीनो में ही राज्य को आर्थिक तौर पर बड़ा झटका लगा है। तेजी से फैले संक्रमण और फिर कर्फ्यू के चलते राज्य की आर्थिक स्थिति चरमरा कर रह गई। पर्यटन, परिवहन, आबकारी, फॉरेस्ट, माइनिंग जैसे कमाऊं सेक्टर में गतिविधियां पूरी तरह से ठप पड़ जाने से स्टेट को राजस्व का भारी नुकसान हुआ है। आपको बता दे कि उत्तराखण्ड सरकार पहले ही चालीस करोड़ से अधिक के कर्जे में डूबी हुई है। शराब की दुकानें बंद होने से अकेले आबकारी में अभी तक तीन सौ करोड़ के नुकसान का आंकलन किया गया है। वित्त सचिव अमित नेगी का कहना है कि मोटे अनुमान के अनुसार अप्रैल में राज्य को जहां दो सौ से तीन सौ करोड़ के आसपास का लॉस हुआ, तो कोरोना के पीक पकड़ने के कारण अकेले मई में ही आठ सौ करोड़ के आसपास नुकसान हुआ है।
आवश्यक हुआ तो लोन ले सकती है सरकार
सरकार के सामने अब चुनौती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की है। अमित नेगी कहते हैं कि जैसे ही हालात सामान्य होते हैं हमारी कोशिश रहेगी कि अधिक से अधिक भरपाई हो सके। इस बीच मंदी की मार झेल रहे कई सेक्टरों से सरकार पर राहत पैकेज का दबाव भी बढ़ने लगा है। परिवहन जैंसे विभागों में पिछले पांच महीने से कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिली है। एक्साइज डिपार्टमेंट को तीन सौ करोड़ रूपए का नुकसान हो चुका है। वित्त सचिव अमित नेगी का कहना है कि जरूरत पड़ी तो सरकार लोन ले सकती है। गर्वमेंट ऑफ इंडिया के अनुसार साढ़े पांच हजार करोड़ तक हमारी लोन सीमा सैंक्शन है। विकास कार्यों और कमिटेड एक्सपेंडचर के लिए जरूरत पड़ी तो हम लोन ले सकते हैं। कुल मिलाकर उत्तराखंड सरकार दोहरे संकट में है. एक ओर इनकम शून्य है, राजकोष खाली है। कारोबारियों को राहत का दबाव है. तो वैक्सीनेशन से लेकर थर्ड वेब की तैयारियों की चुनौती अलग से है। ऐसे में कर्ज में डूबे उत्तराखंड के पास कर्ज लेने का ही एक आसान विकल्प दिखाई देता है।