( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
नई दिल्ली। उत्तराखण्ड का सिर्फ जोशीमठ ही नहीं ,अपितु देश के कई अन्य शहर भी धंसने और जलमग्न होने का खतरा है। जी हाँ ,
जोशीमठ में भू-धंसाव के संकेत वर्षों पहले से मिल रहे थे। बेतरतीब निर्माण, ऊपरी मिट्टी का कटाव और अंधाधुंध विकास जैसे कारणों से जल धाराओं के प्राकृतिक प्रवाह में रुकावट आ गई। स्पष्ट शब्दों में कहें तो इंसानों की वजह से होने वाली गतिविधियों के कारण बदलता जलवायु परिवर्तन जोशीमठ में जमीन धंसने का प्रमुख कारण है।
हम आपको नासा की उस रिपोर्ट के बारे में बताएंगे, जिसमें सदी के अंत तक देश के 12 तटीय शहरों के धंसने और जलमग्न होने का खतरा बताया था। इस खतरे की जानकारी जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल (IPCC) की अगस्त 2021 में आई में एक रिपोर्ट में दी गई थी। IPCC ने समुद्र-स्तर के पूर्वानुमान बनाने के लिए उपग्रहों और जमीनी उपकरणों के डेटा के साथ-साथ विश्लेषण और कंप्यूटर सिमुलेशन का उपयोग किया था। नासा ने भी इसकी एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की थी।
जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट की चेतावनी में शताब्दी के अंत तक मुंबई, चेन्नई, कोच्चि और विशाखापत्तनम जैसे शहरों के लगभग तीन फीट धंसने की बातें कही गई थीं। अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कुल 12 भारतीय शहरों की पहचान की थी, जो जलवायु परिवर्तन और बढ़ते समुद्र के स्तर का खामियाजा भुगतने का जोखिम रखते हैं।
रिपोर्ट में बताया गया था कि एशिया के आसपास समुद्र का स्तर औसत वैश्विक दर की तुलना में तेज गति से बढ़ रहा है। इसके लावा यह भी कहा गया था कि समुद्र के जल स्तर में जो अत्यधिक परिवर्तन पहले 100 वर्षों में एक बार देखा जाता था, वह 2050 तक हर छह से नौ वर्षों में एक बार हो सकता है।
भारत में ये तटीय शहर असुरक्षित हैं
समुद्र के बढ़ते स्तर के कारण यह भारतीय शहर जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणाम भुगत सकते हैं और तीन फीट तक धंस सकते हैं।
चेन्नई
तमिलनाडु में चेन्नई सबसे अधिक प्रभावित होने की उम्मीद है, जहां राज्य के अन्य तटीय क्षेत्रों जैसे चिदंबरम, महाबलीपुरम, कलपक्कम, मरक्कनम, चुनामपेट, थिरुपोरिर, वेलाचेरी में समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण बाढ़ आने का खतरा है।
मुंबई
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई जलवायु परिवर्तन से सबसे बुरी तरह प्रभावित तटीय क्षेत्रों में से एक होगी। आने वाले कुछ दशकों में लगभग 65 प्रतिशत मुंबई पर जलमग्न होने का खतरा है।
गोवा
पर्यटन के लिए मशहूर तटीय राज्य गोवा के समुद्र के स्तर में भी 2050 तक काफी वृद्धि देखी जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि मापुसा, चोराओ द्वीप, मुलगाओ, कोर्लिम, डोंग्रिम जैसे क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होंगे।
कोलकाता
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता भी समुद्र के स्तर में वृद्धि से प्रभावित होगी। रिपोर्ट में यहां के बारानगर, राजपुर सोनारपुर और हावड़ा के आसपास के क्षेत्रों जैसे संतरागाछी, बालिटिकुरी सहित शहर के अधिकांश क्षेत्रों के डूबने की आशंका जताई गई थी।
इतना धंस सकते हैं यह शहर
कांडला: 1.87 फीट
ओखा: 1.96 फीट
भाऊनगर: 2.70 फीट
मुंबई: 1.90 फीट
मोरमुगांव: 2.06 फीट
मैंगलोर: 1.87 फीट
कोच्चि: 2.32 फीट
पारादीप: 1.93 फीट
खिदिरपुर: 0.49 फीट
विशाखापत्तनम: 1.77 फीट
चेन्नई: 1.87 फीट
तूतीकोरिन: 1.9 फीट