( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखण्ड विधानसभा सत्र के दौरान चर्चा पर विपक्ष ने सरकार पर जमकर सियासी वार किया। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार ने राज्य के हर व्यक्ति पर 95 हजार रुपये के कर्ज का बोझ डाल दिया है। सरकार की कमजोर नीतियों के कारण उत्तराखंड भी बढ़ते कर्ज के मामले में श्रीलंका और पाकिस्तान बनने की ओर अग्रसर है।
आर्य ने कहा कि डबल इंजन की सरकार में बेरोजगारी और महंगाई चरम पर पहुंच गई है। सदन बुधवार सात बजे गुरुवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित भी कर दिया गया। आंकड़ों के साथ पूरी तैयारी से पहुंचे नेता प्रतिपक्ष आर्य ने कहा कि श्रीलंका, पाकिस्तान कर्ज में डूबे हुए हैं। उत्तराखंड भी उसी दिशा में जा रहा है।
वर्ष 2022-23 में 11065 करोड़ लौटाना है
राज्य गठन से लेकर 2016-17 तक राज्य पर कुल 35 हजार करोड़ की उधारी, देनदारियां थीं। बजट में 22-23 में 12275 करोड़ का अनुमानित कर्ज और बताया गया है। इस तरह राज्य पर कुल 1.17 लाख करोड़ का कर्जा हो जाएगा। ये कर्जा कैसे बढ़ा, इसका बजट में जिक्र नहीं है।
पुराने कर्ज पर 6017 करोड़ का ब्याज और 5068 करोड़ का मूल कर्ज लौटाना है। इस तरह 2022-23 में 11065 करोड़ लौटाना है। ऐसे में विकास कार्यों के लिए सिर्फ 700 करोड़ शेष रहेंगे। आर्य ने कहा कि राज्य कर्ज लेने की अपनी सीमा को लांघ चुका है। इस साल केंद्र से मिलने वाली 5000 करोड़ की जीएसटी प्रतिपूर्ति भी समाप्त हो जाएगी।
राजकोषीय घाटा 8503 करोड़ रुपये
इसकी भरपाई कैसे होगी, ये साफ नहीं है। राजकोषीय घाटा 8503 करोड़ रुपये का दिखाया गया है जबकि कांग्रेस के समय स्थिति आदर्श रहती थी। बजट में महंगे डीजल, पेट्रोल से राहत देने का कोई जिक्र नहीं है। निवेश कैसे बढ़ेगा, प्रति व्यक्ति आय कैसे बढ़ेगी, पिछड़ों का विकास कैसे होगा, ये भी साफ नहीं किया गया है।
जल जीवन मिशन में नल लगाए गए हैं, लेकिन पानी का पता नहीं है। बेरोजगारी चरम पर है। नौकरी देने का दावा करते हुए 25 हजार पद समाप्त कर दिए गए। आर्य ने कहा कि सरकार उद्योगों में 70 स्थानीय को नौकरी देने का कानून बनाए। 40 हजार सरकारी रिक्त पदों को भरा जाए।
सरकार की ओर से विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने संभाला मोर्चा :
विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने मोर्चा संभालते हुए बजट को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि बजट में कृषि, पशुपालन समेत हर क्षेत्र के विकास का रोडमैप है। राज्य के बुनियादी सवालों का जवाब बजट में दिया गया है। मुन्ना ने कहा कि ढांचागत विकास के लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था की गई है।
विकास कार्यों के लिए ऋण लेना गलत नहीं है। जो केंद्र से और वाह्य सहायतित योजनाओं के लिए पैसा आ रहा है, उसमें 90 प्रतिशत तक ग्रांट है। आज तक उत्तराखंड कर्ज लौटाने में कभी डिफॉल्टर नहीं रहा। यही वजह है, जो एसपीए में केंद्र से 894 करोड़ रुपये मिले।