( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनावो की घोषणा की बाद सभी टिकट के दावेदारों ने टिकट पाने के लिए आवेदन किया। टिकट ना दशा में आपको यह तो पता है कि भाजपा और कांग्रेस के कई नेता बागी होकर चुनाव मैदान में कूदे, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि दोनों पार्टियों ने इनमें से कितनों को आखिरकार मना ही लिया! दोनों पार्टियों के आधिकारिक प्रत्याशियों के विरोध में कई बागियों ने नामांकन दाखिल कर दिया था, लेकिन सोमवार को नाम वापस लेने की आखिरी तारीख पर दर्जनों नेताओं ने चुनाव मैदान से अपनी दावेदारी वापस ले ली। उत्तराखंड चुनाव से पहले संयुक्त प्रमुख चुनाव अधिकारी प्रताप सिंह शाह ने बताया कि ऐसे 95 कैंडिडेट रहे, जिन्होंने 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव से पहले अपना नाम वापस ले लिया।
नाम वापसी के बाद अब आंकड़ा सामने आ गया है कि उत्तराखंड में कितने उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होने वाला है। समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट में शाह के बयान के मुताबिक राज्य की 70 सीटों पर अब कुल 632 कैंडिडेटों की किस्मत का फैसला 14 फरवरी को तब होगा, जब मतदान होगा। उत्तराखंड चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आएंगे। हालांकि इससे पहले कांग्रेस और भाजपा के सामने बड़ी चुनौती बगावत की थी। दोनों ही पार्टियों से कई नेता आधिकारिक प्रत्याशियों के खिलाफ ताल ठोकते दिखे थे। इनमें से 95 दावेदारों के नाम वापस लेने से माना जा रहा है कि दोनों पार्टियों ने इतने नेताओं को मना ही लिया।
बागियों को BJP-कांग्रेस ने कैसे मनाया?
टिकट न मिलने से नाराज़ लोगों की बीजेपी और कांग्रेस में लंबी कतार थी। बीजेपी से 16 तो कांग्रेस से 12 बागी मैदान में थे. डैमेज कंट्रोल ऑपरेशन के तहत कांग्रेस रायपुर, ऋषिकेश, सहसपुर, किच्छा, लैंसडौन सीटों पर बगावत संभालने में कामयाब रही। ऋषिकेश से बागी पूर्व मंत्री शूरवीर सजवान को कांग्रेस ने कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष बनाकर मनाया, तो लैंसडौन से बागी ज्योति रौतेला को महिला विंग का प्रदेश अध्यक्ष बनाया। इधर, बीजेपी भी अल्मोड़ा, द्वाराहाट, डोईवाला, पिरान कलियर, गंगोत्री, कालाढूंगी सीटों पर बागियों को मनाने में सफल रही।
बागियों से कैसे निपटेगी भाजपा?
कुछ सीटों पर अब भी बगावत की स्थिति बनी हुई है। कांग्रेस ने जहां अपने बागियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की है, वहीं बीजेपी भी इस तरह की कार्रवाई का मन बना रही है। श्रीनगर गढ़वाल सीट से भाजपा के प्रत्याशी और राज्य सरकार में मंत्री धनसिंह रावत ने एक चुनावी कार्यक्रम में साफ तौर पर ऐलान भी कर दिया कि भाजपा भी बागियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के मूड में आ गई है।
किस सीट पर हैं कितने उम्मीदवार?
भाजपा कब एक्शन लेगी? इसका खुलासा आने वाले दिनों में होगा, इधर नाम वापसी के बाद स्थिति यह है कि देहरादून ज़िले में सबसे ज़्यादा 117 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है और बागेश्वर व चंपावत ऐसे ज़िले हैं, जहां सबसे कम 14-14 प्रत्याशी ही मैदान में हैं। दोनों ही ज़िलों में दो-दो विधानसभा सीटें हैं।