( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। सिलक्यारा सुरंग हादसे मामले में ” चिरग तले अँधेरा ” वाली कहावत 100 % चिरतार्थ हुई है। जी हाँ , राहत एवं बचाव कार्यों की आपाधापी में किसी को यह ध्यान ही नहीं आया कि (घर) राज्य में ही बचाव का सारा सामान रखा मौजूद था पर हम बाहर हाथ- पैर मारते रहे। सुरंग में फंसी ऑगर मशीन को काटने के लिए प्लाज्मा कटर हैदराबाद से मंगाया गया, जबकि यह राजधानी में ही मौजूद था। विशेषज्ञों का मानना है कि कई बार आपा -धापी में ध्यान भी नहीं रहता है।
छठे विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन में लगाई गई उपकरणों की प्रदर्शनी
ग्राफिक एरा विवि में छठे विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन के दौरान आपदा प्रबंधन से संबंधित उपकरणों की प्रदर्शनी भी लगाई गई है जहां लगे स्टॉल में ये प्रदर्शित किए जा रहे हैं। सिलक्यारा सुरंग रेस्क्यू ऑपरेशन में कंक्रीट और मजबूत लोहे एवं स्टील को काटने के लिए प्लाज्मा कटर के साथ, लेजर कटर, वुड कटिंग मशीन, कोर कटिंग मशीन, ब्रीदिंग अप्रेरट सेट जैसे उपकरणों का इस्तेमाल किया गया है। इनमें से अधिकतर उपकरण बाहर से मंगाए गए, जबकि यह सभी उपकरण देहरादून में मौजूद थे।
डिफेंस इक्विपर्स के सेल्स मैंनेजर अंकित चड्ढा ने बताया कि उनकी कंपनी आपदा में काम आने वाले उपकरण बनाती है। प्लाज्मा कटर, लेजर कटर सहित तमाम उपकरण उनके पास हैं। उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण सहित वह तमाम राज्यों में ऐसे उपकरणों की सप्लाई करते हैं।
यहाँ यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि डिफेन्स इक्विपर्स कंपनी ने भी ऐसे हालात में किसी भी सरकारी एजेंसीज को बताना भी उचित नहीं समझा। जोकि कबीले गौर है।
हालांकि रेस्क्यू के दौरान एक प्रोटोकॉल के तहत ही उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाती है। लेकिन जानकारों का मानना है कि यदि इन उपकरणों की खोज पहले अपने ही यहां कर ली जाती तो रेस्क्यू तो जल्दी होता ही साथ ही समय और धन की बचत होती।
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