( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखण्ड में अफसरों के गलत फैसला का असर अब बेसिक और जूनियर विभाग के शिक्षकों पर पड़ने जा रहा है। शिक्षा विभाग के इस फैसले के कारण सैकड़ो शिक्षकों पर एक बार फिर आर्थिक संकट पड़ने वाला है। जिसको लेकर शिक्षक परेशान है।
क्योकि प्रमोशन और चयन वेतनमान के जरिए 4600 ग्रेड पे तक पहुंचे शिक्षकों को दिए गए वेतनमान को शिक्षा विभाग ने अब गलत ठहरा दिया है?
बेसिक शिक्षा निदेशक वंदना गर्ब्याल ने हाईकोर्ट के आदेश पर विभिन्न रिटों की सुनवाई करते हुए उनसे रिकवरी के आदेश जारी किए हैं।
शिक्षकों पर इस अवधि की 50 हजार से लेकर सात लाख रुपये तक की रिकवरी आने वाली है। विभाग के फैसलों से परेशान शिक्षकों का कहना है कि उन्हें लाभ सरकार और विभाग के फैसलों के अनुसार ही दिया गया है। यदि वो वेतनमान के पात्र नहीं थे तो पहले दिया ही क्यों ? शिक्षक संघ इसको लेकर मुखर हो गया है। जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ का कहना है कि यह बेहद गंभीर विषय है।
शिक्षक मामले को लेकर दोबारा हाईकोर्ट की शरण में जा रहे हैं। वही शिक्षक संघ के नेताओ का कहना है कि यह शिक्षकों के खिलाफ उत्पीड़नात्मक कार्रवाई है। शिक्षकों का इसमें कोई दोष नहीं है। पीड़ित शिक्षकों पर काफी भारी भरकम रिकवरियां आ रहीं हैं। सैकड़ों शिक्षक मानसिक रूप से बेहद परेशान हैं।
वित्त नियंत्रक ने वेतनमान संशोधन सुधार के आदेश दिए
बेसिक शिक्षा निदेशक के आदेश के आधार पर वित्त नियंत्रक मोहम्मद गुलफाम अहमद ने सभी सीईओ और जिला वित्त अधिकारियों को शिक्षकों के वेतनमान को नए सिरे से संशोधित करने के निर्देश दिए। इस आदेश के साथ उन्होंने निदेशक के आदेश को भी भी भेजा है, जिसमें अधिक भुगतान की रिकवरी के लिए कहा गया है।
यह है मामला
यह है मामला बेसिक-जूनियर शिक्षकों के बीच यह विवाद 17140 रुपये वेतन के विवाद के नाम से चर्चित है। वर्ष 2009 में सीधी भर्ती व प्रमोशन-चयन वेतनमान वाले शिक्षकों को ज्यादातर ब्लॉक में समान रूप से 17140 रुपये के वेतन का लाभ दे दिया गया था। 2018 को जीओ जारी कर वर्ष 2006 से 27 दिसंबर 2018 तक कको नोशनल करार दिया।