* पत्रकार की स्वतंत्रता छीन ना कानूनन अपराध है क्योंकि पत्रकार देश का चौथा स्तंभ – HC
( सुनील तनेज़ा )
लखनऊ। उच्च न्यायालय इलाहाबाद खंडपीठ लखनऊ हाई कोर्ट ने पत्रकार को न्यूज़ कवरेज करने से रोकने एवं अभद्रता करने पर क्षेत्राधिकारी कैसरगंज कमलेश कुमार सिंह व कोतवाल कैसरगंज राजनाथ सिंह के खिलाफ पुलिस अधीक्षक बहराइच को 6 हफ्ते के अंदर कार्रवाई करने के आदेश दिए है।
आपको बताते चलें कि यह मामला उत्तर प्रदेश जनपद बहराइच थाना कैसरगंज के अंतर्गत मौजा मोहरी कला ग्राम सोनारीका है जहां पर 29 जुलाई 2023 मोहर्रम के दिन जुलूस पर पत्थर फेंकने एवं आगजनि को लेकर बवाल हुआ था। जिस पर पत्रकार सफीक अहमद न्यूज़ कवरेज कर रहे थे और बराबर अधिकारियों से जानकारी ले रहे थे कि जब पुलिस प्रशासन पहले से मौजूद था तो इतनी बड़ी घटना कैसे घटित हुई। इस बात को लेकर के जब पत्रकार सफीक अहमद ने क्षेत्राधिकारी कैसरगंज कमलेश कुमार सिंह के जानकारी लेना चाहा तो क्षेत्राधिकारी कैसरगंज पत्रकार सफीक अहमद के ऊपर बिगड़ गए और झूठे मुकदमे में फसाने की धमकी दी। अभद्रता के साथ पेस आए और कोटवाल कैसरगंज राजनाथ सिंह ने पत्रकार सफीक अहमद को बहुत बुरा भला कहा और न्यूज़ कवरेज करने से रोका और चैलेंज के साथ कहा कि अगर तुम लोग न्यूज़ कवरेज करके बढ़ावा दोगे तो तुम्हारी पत्रकारिता भिजवा देंगे। इतना मुकदमा लिख देंगे कि तुम बर्बाद हो जाओगे। लेकिन पत्रकार बड़ी मेहनत और मशक्कत के साथ न्यूज़ को कवरेज किया मोहर्रम के दूसरे दिन से क्षेत्राधिकारी कैसरगंज व कोतवाल के द्वारा झूठे मुकदमे में फंसाने की बराबर धमकी पत्रकार सफीक अहमद को मिलने लगी। इनकी धमकियों से तंग आकर उच्च न्यायालय इलाहाबाद खंडपीठ लखनऊ का दरवाजा खटखटाया। उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ हाई कोर्ट ने पुलिस अधीक्षक बहराइच को 6 हफ्ते के अंदर क्षेत्राधिकारी कैसरगंज कमलेश कुमार एवं कोतवाल राजनाथ सिंह के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश पारित कर दिया और साथ -साथ में उच्च न्यायालय के द्वारा यह कहा गया कि पत्रकार को न्यूज़ कवरेज करने से कोई रोक नहीं सकता है। पत्रकार की स्वतंत्रता छीन ना कानूनन अपराध है, क्योंकि पत्रकार देश का चौथा स्तंभ है। अब देखना यह है कि यह खबर वायरल होने के बाद पुलिस अधीक्षक बहराइच के द्वारा उच्च न्यायालय इलाहाबाद खंडपीठ लखनऊ के आदेशों का पालन होता है या नहीं यह तो खबर चलने के बाद ही पता चलेगा।
पत्रकार एक स्वतंत्र है, उनके साथ गलत व्यवहार करने वालों पर हो कानूनी कार्रवाई-HC
इलाहबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने पत्रकारों के सम्मान को सुरक्षित करने के लिए लिया निर्णय, बताया की पत्रकार एक स्वतंत्र है। उनके साथ गलत व्यवहार करने वालों पर तुरंत हो कानूनी कार्रवाई। पत्रकार अपनी काबिलियत एवं श्रम निष्पक्षता के साथ करते हैं काम। पत्रकार के काम में बाधा डालने वालों पर होगी अब कठोर कार्रवाई।
जी हाँ ,हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद PM मोदी और CM योगी का भी ऐलान आया है कि पत्रकारों से अभद्रता करने वालों पर लगेगा 50,000 हजार का जुर्माना एवं पत्रकारों से बदसलूकी करने पर 3 साल की जेल हो सकती है । पत्रकार को धमकाने वाले को 24 घंटे के अंदर जेल भेज दिया जाएगा। पत्रकारों को धमकी के आरोप में गिरफ्तार लोगों को आसानी से नहीं मिलेगी जमानत । पत्रकारों को परेशानी होने पर तुरंत संपर्क कर सहायता प्रदान करें और पत्रकारों से मान-सम्मान से बात करें वरना आप को पड़ेगा महंगा।
बदसलूकी करने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ दर्ज होगी FIR नही तो एसएसपी पर होगी कार्यवाही। पत्रकार नही हैं भीड़ का हिस्सा। पत्रकारों के साथ बढ़ती ज्यादती और पुलिस के अनुचित व्यवहार के चलते कई बार पत्रकार आजादी के साथ अपना काम नही कर पाते है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद देश के वरिष्ठ पत्रकारगण इस विषय पर चिन्तन करने में लग गए है।