( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखण्ड के लोगो के लिए एक बुरी खबर आ रही है। जी हाँ ,आम लोगो के इलाज की आयुष्मान योजना और सरकारी कर्मचारी ,पेंशनर्स के लिए शुरू हुई राज्य स्वास्थ्य योजना में निशुल्क व कैशलेस इलाज पर संकट खड़ा हो गया है। हालात यह है कि पिछले दो महीनों से अस्पतालों का भुगतान नहीं हो पा रहा है जिससे प्राइवेट अस्पतालों ने मरीजों के इलाज में आनकानी शुरू कर दी है।
सरकार ने राज्य के 18 लाख परिवारों को पांच लाख रुपये तक का निशुल्क इलाज देने के लिए आयुष्मान योजना शुरू की है। जबकि सवा तीन लाख सरकारी कर्मचारी और पेंशनर्स को अनलिमिटेड कैशलेस इलाज के लिए राज्य स्वास्थ्य योजना लागू की गई है। इन दोनों ही योजनाओं का संचालन राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से किया जाता है।
प्राधिकरण ने राज्य व देश के कुल 200 अस्पतालों में निशुल्क व कैशलेस इलाज के लिए अनुबंध किया है। इन अस्पतालों में इलाज कराने पर एक सप्ताह के भीतर भुगतान देने का प्रावधान है। लेकिन अस्पतालों का भुगतान नहीं हो पा रहा है। इस वजह से अस्पताल मरीजों के इलाज में आनकानी शुरू कर दी है। राज्य भर के 30 मरीजों ने इस संदर्भ में प्राधिकरण को शिकायत दर्ज कराई है।
दो महीनों से किसी भी अस्पताल का नहीं हो सका भुगतान
राज्य स्वास्थ्य योजना और आयुष्मान योजना के तहत इलाज पर हुए खर्च हुआ बकाया 100 करोड़ के पार पहुंच गया है। दो महीनों से किसी भी अस्पताल का भुगतान नहीं हो पाया है जिससे आने वाले दिनों में मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरुणेंद्र सिंह चौहान ने स्वीकार किया कि पिछले दो महीनों से अस्पतालों का भुगतान नहीं हो पाया है।
उन्होंने कहा कि योजना के तहत 53 करोड़ मिले थे जो खर्च हो चुके हैं। सरकार से 100 करोड़ रुपये की डिमांड की गई है। प्राइवेट अस्पतालों को कहा गया है कि मरीजों के इलाज में किसी भी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
प्राइवेट अस्पतालों पर टिकी हुई है योजना
आयुष्मान योजना और राज्य स्वास्थ्य योजना मुख्य रूप से प्राइवेट अस्पतालों पर निर्भर है। ऐसे में यदि प्राधिकरण की ओर से भुगतान नहीं किया गया तो प्राइवेट अस्पताल योजना से किनारा कर सकते हैं। इससे पूरी योजना पर ही संकट खड़ा हो सकता है। राज्य में मरीजों के निशुल्क इलाज के लिए पूर्व में शुरू की गई मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना को सरकार को उस योजना को ही बंद करना पड़ गया था। योजना में 120 के करीब बड़े प्राइवेट अस्पताल जुड़े हुए हैं।