( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
मुज़्ज़फरनगर। UPSC एग्जाम काफी टफ होता है। तैयारी करने वाले कैंडिडेट्स को सबसे पहले प्रीलिम्, निकाला होता है उसके बाद मेंस और फिर इंटरव्यू। इन तीनों स्टेप्स में पास होने वाले कैंडिडेट्स को ही सरकारी नौकरी मिलती है। Aditya Singh ने 2020 में UPSC के एग्जाम में 92वीं रैंक आई है। आदित्य की प्रारंभिक शिक्षा गांव से हुई। मुजफ्फरनगर के एमजी पब्लिक स्कूल से इंटरमीडिएट के बाद उन्होंने जेएसएस एकेडमी, नोएडा से बीटेक किया और फिर आईबीएम बेंगलुरू में 1.5 साल तक नौकरी की। आदित्य सिंह बचपन से औसत छात्र थे लेकिन स्कूल में अतिरिक्त गतिविधियों में भाग लेते थे। आदित्य कहते हैं कि आप जो भी परीक्षा दे रहे हैं, पहले उसकी जरूरतों को समझिए। यदि आप सविल सर्विस के लिए परीक्षा में बैठते हैं तो आप स्पष्ट रहिए। UPSC 2020 के नतीजे 24 सितंबर, 2021 को जारी किए गए। फाइनल रिजल्ट में कुल 761 कैंडिडेट्स को चुना गया।
आपके पास इस सवाल का जवाब हो की आप ये परीक्षा क्यों दे रहे हैं
आदित्य कहते हैं कि आप जो भी परीक्षा दे रहे हैं, पहले उसकी जरूरतों को समझिए। यदि आप सविल सर्विस के लिए परीक्षा में बैठते हैं तो आप स्पष्ट रहिए। आपके पास इस सवाल का जवाब होना चाहिए कि आप सिविल सर्विस की परीक्षा में क्यों बैठ रहे हैं? यह जवाब आपको हताशा और निराशा के समय हिम्मत देगा। यूपीएससी की वर्ष 2016 और 2017 की परीक्षा उन्होंने जॉब करते हुए ही दी। लेकिन जब उनमें सफलता हासिल नहीं हुयी तो उन्होंने नौकरी छोड़कर तैयारी करने का निर्णय लिया। यूपीएससी 2020 की परीक्षा में उनका पांचवा प्रयास था।
सोर्स का पता होना चाहिए
उन्होंने बताया कि सोर्सेज का पता होना चाहिए। बहुत सारे सोर्सेज के पीछे भागने लगते हैं तो दिक्कत होती है। किसी भी टॉपर या कोचिंग को आंख बंद करके फॉलो मत करिए। सबकी अलग अलग अप्रोच होती है। किसी के लिए जो चीज काम करती है जरूरी नहीं कि वह आपके लिए भी काम करे। हर किसी की ताकत और कमजोरी अलग अलग होती है। प्री के लिए जरूरी है कि आप पिछले 20 साल के लिए प्रेपर जरूर साल्व करें। मेंस के लिए जरूरी है कि आप प्रश्न और उत्तर लिखने की प्रैक्सिट करें। इंटरव्यू के लिए जरूरी है कि आप बातचीत की प्रैक्टिस करें। खुद पर आत्मविश्वास रखें।
राइटिंग स्किल पर ध्यान देना चाहिए
आदित्य ने कहा कि जब वह नौकरी के साथ तैयारी करते थे, वह दौर उनके लिए चुनौतियों से भरा हुआ था। एक तरफ जॉब से जुड़े काम पर ध्यान देना जरूरी था। दूसरी ओर तैयारी पर भी ध्यान देना था। ऐसे दौर में निराशा स्वाभाविक है लेकिन उससे उबरने में उनकी दो आदतों ने बड़ी मदद की। पहले तो वह नियमित मेडिटेशन करते थे। दूसरे उन्हें डायरी लिखने की आदत थी। उनका कहना है कि जब आप खुद के साथ थोड़ा समय बिताते हैं, तब आप खुद के साथ ईमानदार रहते हैं कि आप अपना काम कर रहे हैं। अपनी कमियों को लगातार सुधारेंगे। यह चीज जीवन भर आपकी मदद करती है।