• छह दिसंबर, 1992 को शाहजहांपुर में लिखा गीत सौगंध राम की खाते हैं बन गया आंदोलन का नारा।
• अनायास निकली इस पंक्ति पर उन्होंने रात में ही लिखा था गीत, बाद में यह जन-जन की जुबां पर चढ़ा।
( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
अयोध्या / शाहजहांपुर। छह दिसंबर 1992 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के जलालाबाद में आचार्य हृदयनाथ अग्निहोत्री के आवास पर काव्य गोष्ठी हो रही थी। अचानक सूचना आई कि अयोध्या में विवादित डांच्चा गिरा दिया गया है। मुख्य अतिथि एसडीएम तुरंत अपने वाहन की ओर लपके, दूसरी ओर मंच से हुंकार हुई सौगंध राम की खाते हैं, हम मंदिर वहीं बनाएंगे। उत्साह से भरे वीर रस के कवि विष्णु गुप्त के मुंह से अनायास निकली यह पंक्ति श्रीराम मंदिर आंदोलन का नारा बन गई। नौ वर्ष पहले विष्णु गुप्त दुनिया छोड़ गए, मगर उनकी यह सौगंध 22 जनवरी 2024 को पूरी होने जा रही है। पूरा देश श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी में जुटा हुआ है।
विष्णु गुप्त के मित्र आचार्य राममोहन मित्र बताते हैं कि उन दिनों आंदोलन को गति देने के लिए, घरों में बैठकें, गोष्ठियां होती थीं। विष्णु गुप्त राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए कार्य करते और समय मिलने पर कविताएँ लिखते थे।
छह दिसंबर, 1992 को गोष्ठी के दौरान वह मंच पर काव्य पाठ करने पहुंचे ही थे कि विवादित ढांचा दहने की सूचना आ गई। कार्यक्रम स्थल पर हलचल बढ़ चुकी थी, मगर विष्णु गुप्त मंच से नहीं हटे। उन्होंने सौगंध राम की खाते बोली, श्रीराम का जयकारा लगाने लगे। चंद मिनट बाद गोष्ठी की घोषणा होने पर वह घर पहुंचे परंतु मन बेचैन था। उसी रात उन्होंने वो गीत लिख दिया, जोकि आगे चलकर मंदिर आंदोलन में जन-जन की जुबां पर चढ़ गया। कुछ समय पश्चात उन्होंने श्रीराम पर लिखीं अन्य रचनाओं के साथ इस गीत को एक पुस्तक में संकलित किया। उसे नाम दिया-सौगंध । वर्ष 1994 में एक गायक ने उनसे अनुमति लेकर गीत में कुछ संशोधन करते हुए गया था ,जिसके ऑडिओ कैसेट भी रिलीज हुए थे।
पिता नहीं रहे, उनकी सौगंध पूरी होते देखेंगे प्रयागराज से हिंदी साहित्यरत्न की परीक्षा पास करने के बाद विष्णु गुप्त की लेखन में रुचि बढ़ती गई। उन्होंने किताबों की दुकान खोली थी, वहां बैठकर काव्य रचनाएं लिखते। इससे पहले आपातकाल में जेल भी गए थे। उनके बेटे अजय गुप्ता बताते हैं कि पिताजी अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनते देखना चाहते थे। वर्ष 2014 में उनका निधन हो गया। उनकी सौगंध अब पूरी हो रही। 22 जनवरी 2024 के बाद मां शशिकला और भाई विपिन चंद्र के साथ श्रीराम के दर्शन करने जरूर जाएंगे।
गीत की कुछ पंक्तियां
कोटि-कोटि हिंदू जन का हम ज्वार उठाकर मानेंगे।
सौगंध राम की खाते हैं, हम मंदिर वहीं बनाएंगे।।
जयघोष हो रहा उसे सुनो, कण-कण में ज्वाला भर दी है।
रामलला के चरणों पर मुंडों की माला घर दी है।।
नर नारी बालक संत सभी, मिल अवधपुरी को जाएंगे।
फिर भी अधिकार न मिल पाया, हम उसे छीनकर मानेंगे ।। है बलिदानों की कसम हमें, मंदिर वहीं बनाएंगे…
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