Dehradun genie of sting came out of the bottle notice issued to these leaders Political stir in Uttarakhand Slider States Uttarakhand

बड़ी खबर : उत्तराखण्ड की राजनीतिक हलचल ,फिर बोतल से निकला स्टिंग का जिन्न ,इन नेताओं को जारी हुआ नोटिश। आखिर क्यों और किसको – किसको ,क्यों ? Tap कर जाने

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( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। एक बार फिर से उत्तराखंड की राजनीति गर्मा उठी है।
2016 का वो जिन्न एक बार फिर से 7 साल बाद बोतल से बाहर निकल गया है। राजनीति का वो दौर इस दौर से एकदम अलग था। हरीश रावत प्रदेश के मुखिया की कुर्सी पर विराजमान थे। कौन जानता था कि ‘बागों में बहार है’ का वो मौसम हरदा की राजनीतिक सरजमीं पर पतझड़ की मानिंद रूप बदलेगा। एक स्टिंग आया और सरकारें हिल गई। देश ने कैमरे के सामने विधायकों की खरीद फरोख्त देखी। तख्त बदलते देखे, राष्ट्रपति शासन लगते देखा, राजनीति का ज्वार देखा।

विधायकों की सौदेबाजी करने के गंभीर आरोप लगे 
साल 2016.. हरीश रावत के मुख्यमंत्री रहते हुए ये स्टिंग उस समय एक बड़े चैनल से जुड़े पत्रकार उमेश कुमार, जो कि अभी उत्तराखंड के हरिद्वार से निर्दलीय विधायक हैं, उन्होंने ये स्टिंग जारी किया था। वीडियो में तत्कालीन सीएम हरीश रावत पर सरकार बचाने के लिए विधायकों की सौदेबाजी करने के गंभीर आरोप लगाए गए थे। इसके बाद एक और स्टिंग वायरल हुआ, जो कि विधायक मदन सिंह बिष्ट का था। इसमें डॉ. हरक सिंह रावत के शामिल होने का दावा करते हुए हरीश रावत सरकार को बचाने के लिए खरीद-फरोख्त के आरोपों से जोड़ते हुए दिखाया गया था।

ये स्टिंग भी उमेश कुमार की ओर से ही जारी किया गया था,बाद में इस मामले की जांच सीबीआई को दे दी गई थी। अब मामले की जांच इन चारों नेताओं के वॉयस सैंपल लेने पर टिकी हुई है, जिससे कि इनकी आवाज का मिलान स्टिंग में रिकॉर्ड हुई आवाज से किया जा सके। दोनों ही स्टिंग को लेकर उमेश कुमार ने दावा किया था कि हरीश रावत सरकार को बचाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त की डीलिंग की जा रही थी। स्टिंग में रुपयों के लेन-देन होने की बात का दावा भी किया गया था।  इसके बाद उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा था।  लगा था राष्ट्रपति शासन  राज्यपाल की सिफारिश के बाद 27 मार्च 2016 को राष्ट्रपति शासन लागू हुआ था। 11 मई 2019 को हरीश रावत के विश्वासमत हासिल करने पर सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन हटा दिया था। साल 2016 के बहुचर्चित स्टिंग ऑपरेशन मामले में सीबीआई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ,पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत, मदन सिंह बिष्ट और उमेश कुमार को नोटिस जारी कर आदेश दिए हैं। सीबीआई ने इन चारों नेताओं के वॉयस सैंपल लेने की अनुमति मांगी थी, जिस पर ये आदेश जारी किया गया है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा सब सत्ता का खेल है। हमारे ऊपर किसी भी तरीके की जांच की जाए। उससे जो कुहासा लगेगा, वो छंटेगा। 

हरक ने दिया अल्टीमेटम भी 

पूर्व मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत का कहना है, उन्हें सीबीआई कोर्ट से अब तक कोई नोटिस नहीं मिला। यदि कोर्ट से नोटिस मिलेगा तो उस पर अमल किया जाएगा। हरक सिंह रावत ने तो बातों बातों में ये अल्टीमेटम भी दे दिया है कि जब सीबीआई उनसे सवाल पूछेगी तो एक एक कर कई परते खुलेंगी। 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग के बाद उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल आ गया था। दोनों ही स्टिंग को लेकर उमेश कुमार ने दावा किया था कि हरीश रावत सरकार को बचाने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त की डीलिंग की जा रही थी। स्टिंग में रुपयों के लेन-देन होने की बात का दावा भी किया गया था। अब एक बार फिर से स्टिंग का वो जिन्न बोतल से बाहर आ गया है। आगे क्या होता है? उत्तराखंड की राजनीति किस किरवट बैठती है। देखते रहिए..कुछ रोचक होने वाला है।

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