( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। सिलक्यारा सुरंग में 17 दिन तक जिंदगी गुजारने वाले मजदूरों के हौसले इतने सबके बावज़ूद फिर बुलंद हैं। उनका कहना है कि सुरंग निर्माण के दौरान इस तरह की घटना सामान्य होती है। हालांकि इस बार मलबा ज्यादा गिर गया था। मजदूरों ने छुट्टी के बाद फिर काम पर लौटने का संकल्प लिया है तो कुछ मजदूरों के परिजन वेतन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

जयदेव बोले, डरना क्या…ये तो सुरंग में होता रहता है
17 दिन सिलक्यारा सुरंग में कैद रहने वाले पश्चिमी बंगाल निवासी जयदेव परमानिक का कहना है कि सुरंग में इस तरह के हादसे होते रहते हैं। इसमें डरने वाली कोई बात नहीं है। जब इतना ज्यादा मलबा गिर गया तो एक पल को तो चिंता हुई लेकिन जैसे ही चार इंच की लाइफलाइन से बाहर वालों से बात हुई तो सारी चिंता काफूर हो गई। तभी मैंने मान लिया था कि हम सकुशल बाहर निकल जाएंगे। जयदेव ने बताया कि भीतर समय काटने को वह ताश के पत्तों से खेलते थे। क्रिकेट खेलते थे। कभी-कभी चोर सिपाही भी खेल लेते थे। रात को वाटर प्रूफिंग पर सोते थे। वह अब घर जाएंगे। डेढ़ महीने तक आराम करेंगे। इसके बाद फिर काम पर लौटेंगे।
PM मोदी और CM धामी का किया धन्यवाद


सिलक्यारा सुरंग से सकुशल लौटने के बाद सभी मज़दूर AIIMS में अपना इलाज करा रहे है। तो वही उनके सकुशल वापसी पर सूबे के मुखिया पुष्कर सिंह धामी उनके परिजन संग हर्ष पर्व के रूप में हर्षोल्लास से मनाई गयी इगास। मज़दूरों ने PM मोदी और CM धामी का तहे दिल से धन्यवाद किया और कहा भगवान उनको लंबी ुमे दे काम करने की शक्ति दे ,जिससे कि कभी ऐसा हादसा हो तो इनके कामों से अन्य राज्य के लोग सबक ले। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री धामी ने जिस प्रकार से फंसे रहने के दौरान हमारा हौसला बढ़ाया कोई और शायद होता तो नहीं हो सकता था।
सुरंग में काम करना मजबूरी लेकिन कंपनी बढ़ाए मजदूरी : मंजीत
17 दिन बाद सुरंग से लौटे मजदूर मंजीत काफी उत्साहित हैं। उन्हें इस बात का सुकून है कि वह सकुशल लौट आए हैं। उनका कहना है कि यहां काम करना मजबूरी है, लेकिन कंपनी उनका वेतन और बढ़ाए। मंजीत के चाचा कृष्णा चौहान ने बताया कि मंजीत दो बहनों का भाई है। उसके सुरंग में फंसने के बाद से परिवार में कोहराम मचा हुआ था। आज जैसे ही उसके बाहर आने की खबर मिली और बातचीत हुई तो पूरे परिवार ने 17 दिन बाद साथ बैठकर खाना गया। मंजीत ने कहा कि वह मजदूर हैं। दिहाड़ी नहीं करेंगे तो घर कैसे चलेगा। उन्हें अभी 26 दिन काम करने पर 16 हजार वेतन मिलता है। अगर कंपनी इसमें थोड़ी और बढ़ोतरी कर दे तो बेहतर होगा। मंजीत ने कहा कि डर तो लगता है लेकिन मजबूरी है। वह अब छुट्टी पर घर रहेंगे। इसके बाद फिर वापस आएंगे और सुरंग में काम करेंगे।

इकलौते भाई के लिए तीनों बहनों ने पढ़ी नमाज, रखे रोजे
ऑपरेशन सिलक्यारा में मजबूत टीम लीडर के तौर पर उभरे सबा अहमद तीन बहनों के इकलौते भाई हैं। शुरू में जैसे ही सबा के फंसने की खबर परिजनों तक पहुंची तो वे चिंतित हो गए लेकिन जब सबा से परिजनों की चार इंच पाइप से बात हुई तो सबकी जान में जान आ गई। सबा खुद बोल रहा था कि फिक्र न करना। हम जल्द बाहर आएंगे। बिहार निवासी सबा की बहन अजरा ने बताया कि अपने भाई की सलामती के लिए उन्होंने नमाज पढ़ीं, रोजे रखे। उनकी दुआ कुबूल हो गई। सबा ने बताया कि वह शुरू से ही पूरी टीम का हौसला बढ़ाते रहे। उन्हें भरोसा था कि वह सकुशल लौट आएंगे। सबा ने दिसंबर में छुट्टी पर घर आने का वादा किया था और ऑपरेशन सफल होने के बाद दिसंबर में ही वह घर जाने को लेकर उत्साहित हैं। उनके तीन बच्चे हैं, जो इंतजार कर रहे हैं। सबा ने कहा कि निश्चित तौर पर वह नए जोश और जज्बे के साथ काम पर लौटेंगे।
चिंता न करो, ऑपरेशन खत्म हो चुका है
पश्चिमी बंगाल के कूच बिहार निवासी मानिक तालुकदार भी 17 दिन तक सुरंग में फंसे रहे। जैसे ही वह बाहर आए तो उनकी मुलाकात भतीजे विनय तालुकदार से हुई। इसके बाद परिजनों से बातचीत की गई। मानिक ने कहा कि चिंता न करो, सबकुछ ठीक है। हम बाहर निकल आए हैं। मानिक के परिवार में भी उत्साह है। उनका एक बेटा है। भतीजे विनय ने बताया कि चाचा यहां काफी समय से काम कर रहे हैं। उन्हें कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं है। वह दोबारा काम पर लौटने को तैयार हैं। इससे पहले परिजनों से मिलने पश्चिमी बंगाल जाएंगे।

पढ़े Hindi News ऑनलाइन और देखें News 1 Hindustan TV (Youtube पर ). जानिए देश – विदेश ,अपने राज्य ,बॉलीबुड ,खेल जगत ,बिजनेस से जुडी खबरे News 1 Hindustan . com पर। आप हमें Facebook ,Twitter ,Instagram पर आप फॉलो कर सकते है।
सुरक्षित रहें , स्वस्थ रहें।
Stay Safe , Stay Healthy