( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
हरिद्वार। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के बयानों ने एक बार पुरे देश में खलबली मचा दी थी। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद द्वारा हरिद्वार स्थित अपने मठ में पत्रकारों के सवालों का जबाब देते साईं बाबा को लेकर दिया गया बयान उन्होंने पहली बार हरिद्वार में ही दिया था। जिसके बाद पूरे देश में विरोध शुरू हो गया था। खास बात यह रही कि शंकराचार्य अपने बयान से कभी नहीं मुकरे और उन्होंने अपना जो तर्क दिया। उसे कई संतों ने सही माना था।
आपको बता दे कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अप्रैल 2014 में उन्होंने साईं बाबा की पूजा को भी टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि जब मुस्लिम साईं बाबा की पूजा नहीं करते तो हम क्यों करें ? उन्होंने साफ शब्दों में साईं बाबा की पूजा को गलत ठहराया था।
शंकराचार्य हरिद्वार में गंगा की स्वच्छता को लेकर भी सक्रिय रहे हैं। उन्होंने गंगा की निर्मलता के लिए किए गए प्रो. जीडी अग्रवाल के अनशन का समर्थन किया था। उन्होंने गंगा स्वच्छता का मुद्दा भी कई बार उठाया था।
हरिद्वार से लगातार जुड़े रहे स्वरूपानंद
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती पहली बार 1950 के महाकुंभ में हरिद्वार आए थे। इसके बाद लगातार उनका आना-जाना रहा है। वर्ष 1989 में ज्योतिषपीठ का शंकराचार्य बनने के बाद लगातार वह हरिद्वार से जुड़े रहे। 2005 में उन्होंने कनखल में शंकराचार्य मठ आश्रम बनाया था। इससे पहले स्वरूपानंद सरस्वती भूमानंद आश्रम, जयराम आश्रम और मानव कल्याण आश्रम में आते थे। इतना ही नहीं वर्ष 2013 में प्रयागराज कुम्भ के दौरान उनको भारत साधु समाज़ के राष्ट्रिय अध्यक्ष की कुर्सी संतो -महंतो के आग्रह पर संभाली थी। तबसे वह निरंतर साधु समाज़ के उत्थान के लिए लगे रहे।
फर्जी शंकराचार्यों के खिलाफ थे स्वरूपानंद
स्वरूपानंद हमेशा फर्जी शंकराचार्यों के खिलाफ रहे हैं। 2010 के महाकुंभ में कुछ तथाकथित शंकराचार्य के स्नान को लेकर भी विवाद हो गया था। उस समय तीनों शंकराचार्य एक हो गए थे। जिस पर प्रशासन को झुकना पड़ा था और फर्जी शंकराचार्य को स्नान का समय नहीं दिया गया था।