Dehradun joshimath pictures of the devastation scares from below Slider sound of flowing water States team was stunned to see Uttarakhand

बड़ी खबर : उत्तराखंड के जोशीमठ में तबाही की तश्वीरें देख दंग रह गई टीम ,डरा रही है नीचे से आ रही पानी के बहने की आवाज़े। आखिर क्या और क्यों ,कैसे ? Tap कर जाने

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( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
जोशीमठ / देहरादून। चमोली के जोशीमठ में तबाही का मंजर देख आई विशेषज्ञों की टीम भी हैरान है। इतना ही नहीं शहर के बेतरह धसने और दर्जनों घरो और इमारतों की दीवारों ,दरवाजों ,फर्श ,सड़को पर आई दरारों का कारण पता लगाने से पहले से ही नाकामी हासिल होती दिख रही है। 

शासन से आई विशेषज्ञ टीम ने देखा कि जोशीमठ के तमाम हिस्सों से सतह के नीचे पानी का बेतरतीब ढंग से रिसाव हो रहा है। इसका कोई एक सिरा नहीं है। जोशीमठवासियों को रात में घरों के फर्श के नीचे पानी बहने की आवाजें आ रही हैं। वे बुरी तरह डरे हुए हैं। टीम के सदस्य दिनभर शहर में हो रहे सुराखों की पड़ताल करते रहे, लेकिन उन्हें कोई सुराग नहीं मिला कि आखिर जमीन के नीचे ये पानी आ कहां से रहा है।

( फ़ाइल फोटो )

आंदोलनकारियों का कहना है कि इस भू-धंसाव के लिए एनटीपीसी की टनल जिम्मेदार है। टीम ने एनटीपीसी के तपोवन-विष्णुगाड़ बिजली प्रोजेक्ट की टनल का भी मुआयना किया, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। देर शाम टीम ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दिन भर का ब्योरा दिया।

हाल यह है कि शहर में कहीं होटलों के पुश्ते टूटने से वह हवा में लटक रहे हैं तो कहीं मकानों को कभी भी जमींदोज करने वालीं दरारें आ गई हैं। कई जगह मटमैले पानी का सोता सड़क पर लगातार बह रहा है। जेपी कालोनी का बैडमिंटन कोर्ट तो पूरी तरह से तबाह हो गया। यही से जमीन के भीतर एक पानी का सोता लगातार तेज रफ्तार से बह रहा है। यानी जोशीमठ में पहाड़ी जमीन के अंदर कई जगहों पर रिसाव है। विशेषज्ञ हर जगह लोगों से बातचीत कर हालात समझने की कोशिश करते नजर आए।

शुक्रवार को सुबह से ही सचिव आपदा प्रबंधन डॉ.रंजीत सिन्हा और गढ़वाल मंडलायुक्त सुशील कुमार की अगुवाई में विशेषज्ञों की टीम ने जोशीमठ की तबाही का निरीक्षण शुरू किया। शुरुआत जोशीमठ के ऊपरी हिस्से मनोहरबाग से की गई। यहां भू-धंसाव का सर्वाधिक असर दिखा। टीम जैसे ही लोगों के घरों में पहुंची तो फर्श में पड़ीं बड़ी-बड़ी दरारें देखकर हैरान रह गई। दर्जनों लोग टीम को अपने घर की दरकी दीवारें दिखाना चाहते थे। सब गुस्से में थे। टीम इसी दिशा में नीचे की तरफ उतरी तो जेपी कॉलोनी स्थित होटल अलकनंदा का पुश्ता ढहने से उसका आगे का हिस्सा हवा में लटका हुआ मिला।

टीम में आईआईटी रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी के साथ ही सरकार के नुमाइंदे भी शामिल हैं। सभी ने अपने-अपने एंगल से जोशीमठ भू-धंसाव को देखा और कई जगह से सैंपल भी लिए। गढ़वाल आयुक्त सुशील कुमार ने अमर उजाला से कहा कि पूरी टीम मिलकर इस समस्या पर अध्ययन कर रही है। इस टीम में भूस्खलन, हाइड्रोलॉजी, हिमालयन जियोलॉजी, आपदा प्रबंधन, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के जाने माने विशेषज्ञ शामिल हैं।

इसलिए निष्कर्ष पर एकदम पहुंचना बहुत कठिन है। यह एक साइंटिफिक स्टडी है, जिस पर हम काम कर रहे हैं। इस रिसाव का कारण क्या हैं, यह तत्काल कहना कठिन होगा।
विशेषज्ञों की टीम ने देर शाम एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड़ परियोजना की टनल का भी निरीक्षण किया। इसके अलावा जेपी की आवासीय कॉलोनी में भी टीम पहुंची। यहां लोगों से बातचीत के साथ ही दरारों का अध्ययन किया गया।

टीम कम से कम दो से तीन दिन यहां सर्वेक्षण करेगी। टीम के सदस्यों का मानना है कि सप्ताहभर में वह किसी नतीजे पर पहुंच जाएंगे। इसके बाद यह भी साफ हो जाएगा कि दरारों की मूल वजह क्या है।

आपदा प्रबंधन, उत्तराखंड सरकार , सचिव, डॉ. रंजीत सिन्हा का कहना है कि  जहां भी दरारें आई हैं, उन सभी घरों का हम सर्वे करेंगे। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करेंगे। जहां दरारें नहीं आईं, वहां पहले से ही इससे बचाव के इंतजाम किए जाएंगे। निश्चित तौर पर दरारें काफी चिंताजनक हैं।
केंद्र सरकार ने उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसान और उसके प्रभाव का अध्ययन करने के लिए कमेटी बनाई है। जलशक्ति मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, कमेटी में पर्यावरण व वन मंत्रालय, केंद्रीय जल आयोग, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और स्वच्छ गंगा मिशन के विशेषज्ञ शामिल होंगे। कमेटी जमीन धंसने के कारणों और प्रभाव की जांच करेगी। यह कमेटी तीन दिन में एनएमसीजी को रिपोर्ट सौंपेगी। कमेटी भू-धंसान से मानव बस्तियों, इमारतों, राजमार्गों, बुनियादी ढांचे और नदियों पर पड़ने वाले प्रभावों को भी देखेगी। जोशीमठ बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब व औली का प्रवेशद्वार है। वहां अरसे से बेतरतीब निर्माण गतिविधियां भी चल रही हैं। इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ में अति संवेदनशील (डेंजर जोन) क्षेत्रों में बने भवनों को तत्काल खाली कराने के निर्देश दिए हैं

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