( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सरकार द्वारा अपने ही कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को बर्खास्त करते हुए पार्टी सदस्य्ता से 6 साल के लिए निष्कासित किये जाने के बाद राजनीती में भूचाल आ गया है। माना जा रहा है कि हरक सिंह रावत पिछले काफी समय से आगामी चुनाव में मनचाही टिकट के लिए दबाव पार्टी पर दबाव बना रहे थे। इतना ही नहीं दलबदल की पटकथा भी कई बार लिखते लिखते रह गए थे ,शायद इसी सबको भांपते हुए कार्यवाही की गई है।
वही हरक अपनी बहु अनुकृति रावत के लिए भी लैंसडौन सीट से टिकट मांग रहे थे। पार्टी पर दबाव बनाने बनाने के मकसद से ही वह कांग्रेस के साथ भी गलबहियां बढ़ा रहे थे। हालांकि बीजेपी ने उनकी मांगों को खारिज कर दिया, जिसके बाद वह नाराज़ होकर रविवार दोपहर दिल्ली चले गए थे। खबर है कि वह आज कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे।
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने पहले तो रावत को मनाने का भी प्रयास, लेकिन जब वह अड़े रहे तो उन्हें कैबिनेट के बर्खास्त करने के साथ पार्टी से भी निष्कासित करने का ये सख्त फैसला लिया। खबर है कि हरक सिंह रावत फिलहाल दिल्ली में ही डेरा डाले हुए हैं और वह एक अन्य बीजेपी विधायक के साथ आज कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, इसके लिए कांग्रेस आलाकमान की भी हरी झंडी मिल चुकी है। प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता और कांग्रेस कैंपेन कमेटी के चेयरमैन हरीश रावत पहले ही हरक सिंह रावत को पार्टी में दोबारा शामिल करने पर सहमति दे चुके हैं।
बीजेपी कार्यकर्ताओं में भी थी नाराजगी
साल 2016 में हरक सिंह रावत के साथ ही कांग्रेस के कई और नेता कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे। वहीं इन पांच वर्षों के दौरान वह बीजेपी के लिए कई बार असहज स्थिति पैदा कर चुके थे. बीजेपी नेताओं के मुताबिक, पार्टी कार्यकर्ताओं में भी रावत को लेकर नाराजगी थी। रावत के साथ बीजेपी में शामिल हुए कांग्रेस नेताओं को ज्यादा तवज्जो दिए जाने से इन ग्रास रूट वर्कर्स में खासी नाराजगी थी।
पुष्कर सिंह धामी सरकार में हरक सिंह रावत की अच्छी पूछ भी थी। हालांकि कुछ दिन पहले ही वह मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हो रही कैबिनेट मीटिंग छोड़कर निकल गए थे। तब उनकी नाराजगी का कारण कोटद्वार मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव न आने को बताया गया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के खनन के आदेशों पर भी हरक सिंह रावत ने सवाल उठाए। हालांकि जानकारों के मुताबिक, हरक की नाराजगी की वजह तब भी लैंसडाउन विधानसभा सीट से अपनी बहू को टिकट नहीं मिलना ही था।
अपने लिए केदारनाथ की सीट चाहते थे हरक
हरक सिंह रावत बीजेपी पर लगातार किसी न किसी चीज के लिए दबाव बना रहे थे। पहले उन्होंने कोटद्वार मेडिकल कॉलेज को लेकर कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफा देने की धमकी देकर पार्टी को असहज स्थिति में ला दिया। वहीं इस बार अपने लिए केदारनाथ सीट और बहू अनुकृति गुसाईं के लिए लैंसडोन सीट के लिए दबाव बना रहे थे। लेकिन बीजेपी आलाकमान इसके लिए तैयार नहीं था।
वहीं टिकटों के ऐलान से ठीक पहले हरक सिंह रावत की कांग्रेस नेताओं से मुलाकात ने माहौल को गरमा दिया, जिसके बाद बीजेपी ने रावत के कांग्रेस में शामिल होने से पहले ही पार्टी से बर्खास्त कर दिया।