* भगवान सूर्य नारायण को विधिपूर्वक से अर्घ्य देने से होती है मनोकामनाएं पूर्ण
* छठ पर्व के तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को दिया जायेगा पहला अर्घ्य
( ज्ञान प्रकाश पाण्डेय / विकास झा )
हरिद्वार। पूर्वांचल और मिथिलांचल का प्रमुख सूर्योपासना के पर्व छठ की छटा पूरे देश में छाई हुई है। अस्तांचलगामी भगवान सूर्य को पहला अर्घ्य रविवार, 30 अक्टूबर 2022 को दिया जाएगा।इस दिन संध्या काल में अस्तगामी सूर्य यानी की डूबते सूरज को जल चढ़ाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि सूर्य को सही विधि और नियम से जल चढ़ाया जाए तो किस्मत सूरज के समान चमक उठती है।बताते चलें कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि यानी की 30 अक्टूबर 2022 पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। फिर 31 अक्टूबर 2022 को उदयीमान सूर्य यानी उगते सूरज को व्रती जल चढ़ाकर अपना व्रत पूरा करेंगे।
कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि प्रारंभ: 30 अक्टूबर 2022, सुबह 05:49कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि समाप्त: 31 अक्टूबर 2022, सुबह 03:27सूर्योदय का समय – सुबह 06.35 (30 अक्टूबर 2022)सूर्योस्त का समय- सायं 5:38 (30 अक्टूबर 2022)छठ पूजा 2022 मुहूर्तब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04:53 – सुबह 05:44अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:48- दोपहर 12:33गोधूलि मुहूर्त – शाम 05:46 – शाम 06:11छठ पर्व में तीसरा दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है इसमें डूबते सूर्य को अर्घ्य देने वाले दिन कई शुभ योग का संयोग बन रहा है। जिसके प्रभाव से व्रती को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी इस दिन रवि, सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. रवि योग में सूर्य की पूजा करने से जीवन में मान-सम्मान में वृद्धि होती है। बल, बुद्धि, धन का वरदान प्राप्त होता है। रवि योग – 30 अक्टूबर 2022, 7.26 – 31 अक्टूबर 2022, 05.48सर्वार्थ सिद्धि योग – सुबह 06.35 – सुबह 07.26 (30 अक्टूबर 2022)छठ पूजा के दूसरे दिन खरना के साथ ही 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत हो जाती है। इस पर्व में तीसरे दिन यानी कि सूर्य षष्ठी पर प्रात: काल स्नान कर नियमित रूप से सूर्य देव की पूजा करें।
व्रत का संकल्प लेते वक्त ये मंत्र बोलें – ‘ॐ अद्य अमुक गोत्रो अमुक नामाहं मम सर्व पापनक्षयपूर्वक शरीरारोग्यार्थ श्री सूर्यनारायणदेवप्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये’इस दिन शाम को व्रती को सूती साड़ी और पुरुष धोती पहनते हैं. इस दिन छठ पूजा के टोकरी में पूजन सामग्री रखकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। शाम को सूर्यास्त के समय नदी या तालाब में खड़े होकर स्नान करें. फिर गेहूं के आटे और गुड़, शक्कर से बने ठेकुए और चावल से बने भुसबा, गन्ना, नारियल, सुथनी, शकरकंदी, लाल सिंदूर, केला, नाशपाती, शहद, पान, बड़ा नींबू, सुपारी, कैराव, कपूर, मिठाई, चंदन, हल्दी, सेब, फल-फूल बांस से बनी डलिया या सूप में सजा लें। अब बांस के सूप में दीपक प्रज्वलित करें, तांबे के लौटे में जल लेकर उसमें लाल चंदन, लाल पुष्प, अक्षत, गंगजाल डालें और पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दें. जल चढ़ाते वक्त पानी की धारा बनाकर अर्घ्य दें। सूर्य देव और छठी मईया से मनोकामना पूर्ती की प्रार्थना करें और फिर पानी में ही तीन बार परिक्रमा लगाएं।
सूर्य को अर्घ्य देने के मंत्र
ऊँ ऐही सूर्यदेव सहस्त्रांशो तेजो राशि जगत्पते। अनुकम्पय मां भक्त्या गृहणार्ध्य दिवाकर:।।ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ आदित्याय नम:, ऊँ नमो भास्कराय नम:। अर्घ्य समर्पयामि।।