( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। चुनाव का समय जैसे – जैसे पास आ रहा है सरकार जनता के दरवाजे पर जाने लगी रही है। सरकार के आदेश पर अब सचिव साढ़े तीन साल में पहली बार सचिवालय की आरामगाह से निकलकर जिलों में जाकर जनता की समस्याएं ससुनेंगे। लेकिन इसके ठीक विपरीत अगर जनता सचिवालय में आकर अपनी समस्या रखनी चाहे तो उसके लिए राज्य सचिवालय के गेट बंद मिलेंगे। कारण कोरोना संक्रमण बताया जा रहा है। कोरोना संक्रमण के बहाने राज्य सचिवालय को पिछले 76 दिनों से आम जनता के लिए बंद रखा गया है। वो सचिवालय जो कोरोना काल में लॉकडाउन से लेकर अनलॉक तक सौ से अधिक शासनादेश जारी कर चुका है।
पूर्व सीएम हरीश रावत सवाल उठाते कहा कि क्या ये आदेश ब्यूरोक्रेसी पर लागू नहीं होते। क्या आम जनता के लिए अलग और ब्यूरोक्रेसी के लिए अलग नियम कानून हैं। सचिवालय में एंट्री बंद होने के कारण देहरादून से हों या फिर दूर-दराज के क्षेत्रों से आने वाले जरूरतमंद सचिवालय गेट पर कुछ देर तक माथापच्ची के बाद निराश हो वापस लौट रहे हैं। बतौर रावत कोरोना की आड़ में ये अफसरों की जवाबदेही से बचने का बहाना है। जनता आएगी नहीं, तो जवाब भी नहीं देना पड़ेगा।
प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने पलटवार करते हुए कहा कि हरीश रावत राजनीति कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण के चलते सचिवालय को बंद रखने का निर्णय लिया गया था। लेकिन, हां अब हमें भी लगता है कि मीडिया से लेकर आम जनता तक के लिए क्रमवार सचिवालय खोल देना चाहिए। इस संबंध में सीएम से आग्रह किया जाएगा। बहरहाल, ये बड़ा विरोधाभास है कि एक ओर सचिव, कमिश्नर जिलों में जाकर जनता की समस्याएं सुनेंगे, लेकिन जब वही सचिव वापस सचिवालय में लौटेंगे तो कोविड की दुहाई देकर आम जनता चाहकर भी उनसे नहीं मिल सकेगी। केंद्रीय सचिवालय से लेकर किसी प्रदेश में ऐसी व्यवस्था नहीं है, जहां प्रदेश में तो अनलॉक घोषित कर दिया गया हो, लेकिन सचिवालय जैसे महत्वपूर्ण सेंटर में अभी भी लॉकडाउन है।