( ब्यूरो, न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
गांधी जयंती विशेष। राष्टपिता महात्मा गाँधी 19 जून 1929 की शाम लक्ष्मेश्वर पहुंचे थे। यहां उन्होंने एक जनसभा को संबोधित किया था। बापू की इस सभा के बाद पहाड़ में भी देश की आजादी के आंदोलन ने जोर पकड़ा। लेकिन आजादी के 70 साल बाद तक ये स्थान यूं ही पड़ा है। नीति-नियंताओं ने कभी इन जगहों को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करने की योजना नहीं बनाई। अल्मोड़ा की ऐतिहासिक नगरी स्वतंत्रता संग्राम की गवाह रही है। महात्मा गांधी ने भी अल्मोड़ा में जनसभा कर आंदोलन को तेज करने की रणनीति बनाई। इसके बाद ही यहां भी जगह-जगह अंग्रेजों को देश से भगाने की मुहिम ने जोर पकड़ा। यहां के लोग चाहते हैं कि पूरी दुनिया में उत्तराखंड आने वाले पर्यटक इन जगहों को गांधी-सर्किट के रूप में याद रखें।
नगरपालिका अध्यक्ष प्रकाश जोशी ने कहा कि जब महात्मा गांधी ने अल्मोड़ा के लक्ष्मेश्वर में विशाल जनसभा को संबोधित किया, तो पूरे कुमाऊं में आंदोलन तेज हो गया था। पिछले कुछ वर्षों में गांधी जनसभा स्थल को बेहतर करने का प्रयास किया गया है।
स्थानीय निवासी त्रिलोचन ने कहा कि लक्ष्मेश्वर में गांधी जनसभा स्थल को पर्यटन के नक्शे पर लाया जाना चाहिए। इससे यहां आने वाले पर्यटक गांधी के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को भी जान सकेंगे। इसके साथ ही जनसभा स्थल तक जाने के लिए बेहतर सड़क और अन्य जनसुविधाएं भी विकसित की जाएं।
महात्मा गांधी ताड़ीखेत, कौसानी, अल्मोड़ा सहित कई स्थानों पर प्रवास के दौरान रहे। अब गांधी-सर्किट बनाने की मांग कितना रंग लाएगी, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा,लेकिन गांधी जयंती के बहाने ही यदि सरकार इस ओर ध्यान दे, तो उत्तराखंड के मुख्य व्यवसाय, पर्यटन को इसका लाभ मिलेगा।