(ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। मध्य प्रदेश में आज जो राजनितिक परिदृश्य चल रहा है। राजीनीतिक गलियारे में कोई पहली बार नहीं हो रहा है ऐसा मानना है राजीनीतिक धुरंधरों का। जी हाँ ,राजीनीति के पुरोधाओं की माने तो ऐसी कमोवेश पुनरावृति पहलर उत्तराखण्ड में केंद्र सरकार द्वारा की जा चुकी है। “मध्य प्रदेश में उत्तराखंड दुहराये जाने पर”आखिर क्या कहा किशोर उपाध्याय ने,आइये जानते है किशोर की कलम से ! “द्वितीय स्कन्ध” में —————–
“द्वितीय स्कन्ध”
विधायक जी ने बड़ी देर बाद अलसायी थकी आवाज़ में फ़ोन उठाया और वही बात मुझे दुहरा दी जो उन्होंने मुख्यमंत्री जी को कही थी साथ में और भी बहुत कुछ जोड़ा कि कैसे-कैसे,कब-कब अध्यक्षजी आपने मेरा साथ दिया है, मुझे बचाया है।
ग्राम कांग्रेस कमेटियों और बाज़ार कांग्रेस कमेटियों के बारे में हमारे कुछ साथियों ने जिज्ञासा प्रकट की।
सशक्त गाँवों का सपना गाँधी जी का था।2012 में सरकार में आने के बाद प्रदेश अध्यक्ष जी मन्त्री बन गये थे, सरकार बनाने में मैंने कैसे मदद की?बाद में बताऊँगा।
प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय लगभग सूना सा हो गया था।कांग्रेस के प्रतिद्वंदी नये-नये प्रयोग कर रहे थे।मुख्यमन्त्री जी की गर्दन में चोट आने के कारण मैंने तुरन्त ही अध्यक्ष का कार्यभार लेने में रुचि नहीं दिखाई, मैं चाहता था कि कार्यभार लेते वक़्त मुख्यमंत्रीजी सहित सभी वरिष्ठ नेता मुझे आशीर्वाद देंगे तो ठीक रहेगा,लेकिन दिल्ली से बार-बार कार्यभार लेने हेतु कहा गया।
अध्यक्ष का कार्यभार लेने के बाद मेरे सामने संगठन को खड़ा करने की चुनौती थी, मेरा मानना था हम ऐसा ढाँचा खड़ा कर दें, जो व्यक्तिनिष्ठ न हो कर संगठननिष्ठ हो कर काम करे और गहन विचार-विमर्श के बाद ग्राम कांग्रेस कमेटियों व बाज़ार कांग्रेस कमेटियों के गठन का निर्णय लिया गया, जिससे कांग्रेसजन गाँव के हर घर तक और बाज़ार के हर व्यक्ति तक पहुँच सके, अपनी बात, कांग्रेस की बात हर उत्तराखंडी तक पहुँचाने का यह एक तरीक़ा था और इस काम को करने के लिये मैंने प्रदेश के लगभग 650 दूसरी पंक्ति के कांग्रेस के नेताओं को झोंक दिया, मुख्यालय में Co-Ordination की ज़िम्मेदारी महामन्त्री श्री राजेन्द्र सिंह भंडारी को दी गयी।श्री राहुल गांधी जी को जब मैंने इस अवधारणा के बारे में बताया तो उन्होंने आश्चर्य के साथ प्रश्न किया, क्या आप लोग सचमुच इस काम को कर लोगे?तभी मैंने उनसे कहा कि लगभग 70% सफलता की उम्मीद है, उन्होंने मुझे कहा कि यदि यह काम हो गया तो वे इन कांग्रेसजनों से मिलना चाहेंगे, इस प्रयोग को देखना चाहेंगे। हमारे साथियों ने 90% तक इस काम को पूरा किया।दो-तीन बार राहुलजी के यहाँ से इस बारे में पूछा गया कि आप इस सम्मेलन को कब करना चाहेंगें?
मुझे लगता है, कुछ लोगों को यह प्रयोग पसन्द नहीं आया।सम्मेलन की तारीख़ आगे बढ़ती गयी और अन्तत: 28 मार्च, 2016 की तारीख़ तय हो गयी।
सम्भवत: अगर यह सम्मेलन 18 मार्च से पहले हो गया होता तो कांग्रेस न टूटती।
हाई कमांड को भी यहाँ की कांग्रेस की मज़बूती का अन्दाज़ हो जाता।
श्री भण्डारी और उनकी टीम ने हर विधान सभावार इन कमेटियों का गठन हर गाँव व बाज़ार में जाकर किया, विधान सभा वार सूचियाँ बनायीं और 20000 से अधिक काम आने वाले कांग्रेसियों के नाम-पत्ते कम्प्यूटर में फ़ीड किये और इसीलिये भण्डारीजी व उनके साथियों के नाम प्रदेश कांग्रेस कमेटी से नदारद हैं।
मुझे लगता है,
तुलसीदास जी की यह बात सटीक है,
होई सोई जो राम रचि राखा।
क्रमशः….जारी रहेगा ….