( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
नई दिल्ली। UPSC और PCS परीक्षा पास करके अधिकारी बनने की तैयारी कर रहे युवाओं के साथ सामान्य व्यक्ति को भी SDM और ADM के बीच के अंतर को जानना जरूरी है। रोजमर्रा के जीवन में इन अधिकारियों से कोई न कोई काम पड़ता ही है। आज हम आपको SDM यानी सब डिविजनल मजिस्ट्रेट और ADM यानी एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के बीच के अंतर और उनके पावर के बारे में विस्तार से बताएंगे।
SDM का फुल फॉर्म सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट और एडीएम का एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट होता है। एडीएम को सीनियर डिप्टी कलेक्टर भी कहते हैं। ADM यानी अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट DM यानी जिला मजिस्ट्रेट या कलेक्टर के ठीक बाद होता है। जबकि SDM केवल एक रेवेन्यू डिवीजन या सब डिवीजन (Sub Division) या सब डिस्ट्रिक्ट के लिए जिम्मेदार होता है। वह ADM से नीचे का पद होता है. ADM पूरे जिले के लिए जिम्मेदार होता है।
कई बड़े शहरों में भी कलेक्टर (Collector) और ADM के बीच एक पद होता है यानी सीनियर डिप्टी कलेक्टर (Senior Deputy Collector) जिसकी हम बात कर रहे हैं। इनमें से तीन व्यक्तियों का काम लगभग एक जैसा होता है लेकिन बड़े शहर में एक या दो व्यक्ति सभी को संभालने और प्रबंधन के लिए पर्याप्त नहीं होते हैं। SDM प्रमोशन से ADM और उससे भी ऊपर का पद पा सकते हैं।
SDM (Sub-Divisional Magistrate)
SDM का फुल फॉर्म सब डिविजनल मजिस्ट्रेट होता है। सब डिवीजन का निर्माण जिलों को विभाजित करके किया जाता है। इसे SDM द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जो अक्सर जिला स्तर से नीचे का एक प्रशासनिक अधिकारी होता है। एक SDM कलेक्टर और एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट की शक्तियों का लाभ उठाता है। SDM अधीनस्थ भूमिकाओं में प्रासंगिक कार्य अनुभव या भारतीय प्रशासनिक सेवा के एक जूनियर मेंबर के साथ राज्य सिविल सेवा का एक सीनियर अधिकारी हो सकता है। SDM 1973 की आपराधिक प्रक्रिया संहिता और कई अन्य छोटी-छोटी कार्रवाइयों के तहत विभिन्न मजिस्ट्रेटी कर्तव्यों का संचालन करता है। यह आमतौर पर एक PCS रैंकिंग अधिकारी होता है। SDM को कलेक्टर मजिस्ट्रेट, टैक्स इंस्पेक्टर द्वारा अधिकृत किया जाता है और सभी तहसीलें या अनुमंडल अनुमंडल मजिस्ट्रेट के नियंत्रण में होते हैं। SDM का अपने अनुमंडल के तहसीलदारों पर पूर्ण नियंत्रण होता है और वह अपने अनुमंडल के जिला अधिकारी और तहसीलदार दोनों के बीच संबंध की एक कड़ी का प्रतिनिधित्व करता है।
ADM (Additional District Magistrate)
ADM का फुल फार्म एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (Additional District Magistrate) होता है। इसे हिंदी में अतिरिक्त जिला न्यायाधीश भी पुकारा जाता है। इसे असिस्टेंट डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट कहकर भी पुकारा जाता है। ADM DM के बाद जिले में दूसरा सबसे सीनियर प्रशासनिक अधिकारी होता है। DM की गैर मौजूदगी में उसकी सभी जिम्मेदारियों का निर्वहन ADM ही करता है। ADM का कार्य जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखना, सभी जिला कार्यालयों, सब डिवीजनों एवं तहसीलों का निरीक्षण करना होता है। इसके अलावा ADM का कार्य सभी तरह के प्रमाण पत्र जारी करना है। इसमें मैरिज सर्टिफिकेट, डोमिसाइल सर्टिफिकेट आदि शामिल है। वह DM की अनुपस्थिति में जिले की जिम्मेदारी संभालता है, साथ ही DM के कार्यों में मदद करता है। ADM के पास ही बाल श्रम यानी बाल मजदूरी से संबंधित मामलों की जांच करने एवं दोषियों पर कार्रवाई की जिम्मेदारी होती है। जमीन से जुड़े मामलों जैसे-भूमि एवं संपत्ति के दस्तावेजों का रजिस्ट्रेशन का कार्य भी ADM के अंतर्गत आता है।