( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
हरिद्वार। ऐसा कहा जाता है कि अगर पितृ खुश हो तो ईश्वर की भी आप पर कृपा होती है। पितरो खुश लिए हमें श्रद्धाभाव तर्पण ,पूजा ,ब्रह्मभोज एवं दान करना चाहिए। इसी श्रद्धा का प्रतिक होते है श्राद्ध। आखिर कबसे शुरू हो श्राद्ध , जानते है हरिद्वार नारायणी शिला के संचालक ज्योतिषाचार्य पण्डित मनोज त्रिपाठी जी से। कई स्थानों पर या कई बार इनको कनागत भी कहा जाता है। इस वर्ष पितृपक्ष एक सितंबर से शुरू हो रहा है। इस पखवाड़े में अपने पूर्वजों का श्राद्ध तर्पण किया जाता है। इसमें अपने पूर्वजों को याद करते हुए उनका आभार जताते हैं कि उनकी वजह से ही आज हम इस दुनिया में हैं।
हरिद्वार नारायणी शिला के संचालक ज्योतिषाचार्य पण्डित मनोज त्रिपाठी जी ने बताया कि श्राद्ध भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से अश्विन मास की अमावस्या तक होते हैं। माना जाता है कि इस समयावधि के दौरान पितृ स्वर्गलोक, यमलोक, पितृलोक, देवलोक, चंद्रलोक व अन्य लोकों से सूक्ष्म वायु शरीर धारण कर धरती पर आते हैं।
वे देखते हैं कि उनका श्राद्ध श्रद्धाभाव से किया जा रहा है या नहीं। अच्छे कर्म दिखने पर पितृ अपने वंशजों पर कृपा करते हैं। श्राद्ध में पितरों के नाम से तर्पण, पूजा, ब्रह्मभोज व दान करना पुण्यकारी होता है। आचार्य सुशांत राज ने कहा कि अगर कोई अपने पितरों का श्राद्ध नहीं करता या श्रद्धापूर्वक नहीं करता तो पितृ नाराज हो जाते हैं। इससे पितृ दोष लगता है।
आखिर कबसे है पितृपक्ष पखवाड़ा :-