criminal conspiracy to mention the names Lucknow made to save themselves non-women in the affidavit Slider Special news States the lives of many women are in trouble The shield of the affidavit Uttar Pardesh

खास खबर : हलफनामे की ढाल, कई महिलाओं का जीवन बेहाल,खुद बचने को बनाये शपथ पत्र में गैर महिलाओं के नाम का उल्लेख अपराधिक षड्यंत्र। आखिर कहा और किसने ,क्यों ? Tap कर जाने 

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– किसी स्त्री का राजफाश करना निजता का हननः कानून विशेषज्ञ

– इसी शपथ पत्र के चलते कुछ  महिलाओं की दाम्पत्य डोर टूटी

– कानून का जानकार अगर ऐसा  अपराध करे तो गंभीरता बढ़ेगी :: सुप्रीम  कोर्ट की रूलिंग

– वह कौन लोग हैं जो मुख्यमंत्री को पूरा सच नहीं बता रहे: बृजलाल

( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )

लखनऊ। अगर कोई आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी छह स्त्रियों से जिस्मानी रिश्ते स्वीकार कर ले,और नोटरी शपथ पत्र पर उनकी पहचान उजागर कर दे। जिससे कुछ का दाम्पत्य जीवन टूट जाए तब क्या ये किसी स्त्री की निजता भंग करने का अपराध नहीं? क्या ऐसे अधिकारी को परिक्षेत्र (रेंज) पुलिस का नियंत्रण सौंपा जाना चाहिए ? ये सवाल वाराणसी परिक्षेत्र के उपमहानिरीक्षक अखिलेश कुमार चौरसिया से जुड़ा है। उनकी तैनाती, शपथ पत्र में दर्ज आचरण को लेकर सिपाही से शीर्ष अधिकारी तक बंद कमरों में इस पर किस्सागोई कर रहे हैं। निजी जिंदगी में व्यक्ति, अधिकारी क्या करता है ? इस पर प्रश्न उठाने का अधिकार किसी को नहीं है। परन्तु उसका आचरण अदालत के सबसे शक्तिशाली साक्ष्य समझे जाने वाले दस्तावेज (नोटरी शपथ पत्र) पर दर्ज हो जाए और उस व्यक्ति का 75 लाख नागरिकों को सुरक्षा का जिम्मा हो, तब सवाल उठना लाजिम है। वाराणसी परिक्षेत्र के पुलिस उपमहानिरीक्षक ने गत वर्ष पत्नी ( अब तलाक हो गया) के समक्ष सौंपे माफीनामा स्वीकारोक्ति ( अपोलॉजी, एक्सेप्टेंस एफीडेविट) में यूपी, दिल्ली, पंजाब के प्रभावशाली परिवार की महिलाओं, लड़कियों से अवैध रिश्ते स्वीकार किये हैं। इस शपथ पत्र में उन्होंने यह भी कहा है कि वे अंतिम बार माफी मांग रहे हैं। अब अवैध रिश्तों से दूर रहेंगे।  माफीनामे को दाम्पत्य जीवन बचाने का प्रयास कहा जा सकता है, पर शपथ पत्र में उन महिलाओं का नाम, पिता पति का नाम, रिहायशी पतों का खुलासा किया गया हैं। कानून विशेषज्ञ कहते हैं यह खुलासा उन स्त्रियों की निजता भंग करने, उन्हें आपराधिक षणयंत्र का हिस्सेदार बनाने जैसा अपराध है। ऐसा अगर अपराध पुलिस अधिकारी कर रहा तो उसकी गंभीरता कई गुना अधिक होती है। सूत्रों का कहना है कि आईपीएस अधिकारी ने शपथ पत्र में जिन स्त्रियों की पहचान उजागर की है।  उनमें से कुछ के पतियों ने इसी कथित फैक्ट को आधार बनाकर पतियों से तलाक ले लिया। नैतिक दृष्टि कहती है कि शपथ पत्र देने वाला अधिकारी स्त्रियों का दाम्पत्य जीवन तबाह करने का जिम्मेदार है। शपथ पत्र में इस आईपीएस अधिकारी ने स्वतः यह खुलासा किया है कि वह बेहद जिम्मेदार पदों पर तैनाती के दौरान सरकारी गाड़ियों से महिलाओं के साथ आता-जाता था। वह कब किस तिथि और कहां किस महिला से मिला इसका विस्तार से शपथ पत्र में उल्लेख है। सूत्रों कहना है कि अधिकारी की पत्नी (पहली) ने पति की आदतों को जानने के बाद दाम्पत्त जीवन बचाने का सभी संभव प्रयास किया। उनके पति के झांसे में आई लड़कियों के अभिभावकों को सच बताया। आखिर में उन्होंने केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह को साक्ष्यों के पुलिंदे के साथ पत्र लिखा। इसमें अधिकारी को सीबीआई से वापस यूपी कैडर भेजने व कार्रवाई की मांग की गयी थी। चैट, वीडियो, फोटोग्राफ, सीडीआर, लोकेशन के साथ की गई इस शिकायत पर केन्द्र सरकार ने त्वरित कार्रवाई की। आरोपों के घेरे में आये आईपीएस अधिकारी की प्रतिनियुक्ति मिड टर्म में ही खत्म कर दी और उसे वापस यूपी भेजा दिया। सरकार में उससे जवाब भी तलब किया गया पर वापस यूपी पहुंचते ही तत्कालीन पुलिस महानिदेशक की संस्तुति पर पहले उसे बरेली का एसएसपी बनाया गया। फिर वाराणसी की डीआईजी नियुक्त कर दिया गया। प्रश्न ये है कि वे कौन से लोग हैं जो मुख्यमंत्री को पूरे सच से अवगत नहीं करा रहे हैं। छह सालों के कार्यकाल में ईमानदारी से काम करते आ रहे मुख्यमंत्री की छवि कौन लोग खराब करने का प्रयास कर रहे हैं।समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनीष सिंह का कहना है कि इस अधिकारी की पत्नी ने जब गत वर्ष राज्य महिला आयोग को शिकायत भेज दी थी, तो उन्होंने कार्रवाई क्यों शुरू नहीं की। उनकी व्यक्तिगत फाइल में सीबीआई से वापसी का कारण भी दर्ज होगा।  तब वाराणसी के डीआईजी जैसे पद पर उनकी तैनाती कैसे हो गयी ? यह रेंज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस सचाई को छिपाने के जिम्मेदार कौन लोग हैं, उन पर पहले कार्रवाई की जानी चाहिए। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बृजलाल खाबरी कहते हैं कि यूपी के अधिकारी ही पूरी सरकार चल रहे हैं। मुख्यमंत्री को सचाई पता नहीं होती है जबकि जनता सारा सच जानती है। वह खामोश है पर 2024 के चुनाव में इसका जवाब देगी। इस संबंध में डीआईजी अखिलेश चौरसिया का पक्ष जानने के लिए कई बार संपर्क किया गया, परन्तु उनसे बात नहीं हो सकेगी। वह जब भी अपना पक्ष रखेंगे, उसे प्रकाशित किया जाएगा।

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