* पूर्वांचल महासभा समिति द्वारा छठ पूजा आयोजन समिति की तैयारियां पूर्ण।
( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
हरिद्वार। पूर्वांचली लोक परंपरा और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए समर्पित पूर्वांचल महासभा समिति के छठ पूजा आयोजन समिति ,बहादराबाद के तत्वावधान में शुक्रवार से चार दिनी छठ महापर्व का आज से शुभारंभ गया है। छठ पूजा आयोजन समिति, बहादराबाद के संयोजक रूप लाल यादव ने बताया कि संस्था द्वारा लोक आस्था के पर्व छठ महापर्व को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। संस्था द्वारा गंगा घाटों की सफाई की जा रही है । इसके लिए अलग अलग टीम बनाई गई है। तीर्थ नगरी के सभी प्रमुख घाटों पर पूर्वांचल समाज के लोग आस्था और उल्लास के साथ छठ पर्व मनायेंगे। उन्होंने बताया कि पहले घाटों की सफाई होगी फिर व्रत और पूजा की तैयारी होगी। जबकि व्यवस्थापक वरुण शुक्ल ने कहा कि छठ धार्मिक आस्था एवं स्वच्छता का पर्व है इसलिए साफ सफाई पर विशेष जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि छठ पर्व के पहले दिन नहाए खाए के दिन कद्दू की सब्जी बनायी जाती है. व्रत रखने वाले सबसे पहले इसे ग्रहण करते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अलावा इसे खाने के कई सारे फायदे हैं।
पूर्वांचल महासभा समिति के अध्यक्ष विनोद त्रिपाठी ने कहा कि लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है। चार दिनों तक चलने वाला यह महापर्व हिंदू पंचांग के मुताबिक छठ पूजा कार्तिक माह की षष्ठी से शुरू हो जाती है। लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ 28आज अक्टूबर से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। 29 अक्टूबर को खरना है तथा डूबते सूर्य को 30 अक्टूबर को व उगते सूर्य को 31 अकटूबर को अर्घ्य दिया जायेगा।
पूर्वांचल महासभा समिति के कोषाध्यक्ष राज तिवारी ने कहा कि नहाय खाय की सुबह व्रती भोर बेला में उठते हैं और गंगा स्नान आदि करने के बाद सूर्य पूजा के साथ व्रत की शुरुआत करते हैं। नहाय खाय के दिन व्रती चना दाल के साथ कद्दू-भात (कद्दू की सब्जी और चावल) तैयार करती हैं, और इसे ही खाया जाता है। इसके साथ ही व्रती 36 घंटे के निर्जला व्रत को प्रारंभ करते हैं। नहाय खाए के साथ व्रती नियमों के साथ सात्विक जीवन जीते हैं और हर तरह की नकारात्मक भावनाएं जैसे लोभ, मोह, क्रोध आदि से खुद को दूर रखते हैं।
पूर्वांचल जनजागृति संस्था के संस्थापक अध्यक्ष कमलेश्वर मिश्रा ने कहा कि नहाय खाए यह त्योहार का पहला दिन है, जिस दिन व्रती / भक्त नदी, तालाब, या किसी अन्य जल निकाय में स्नान करते हैं। खासकर गंगा नदी में वे गंगा का पानी घर लाते हैं और इस पानी से वे प्रसाद पकाते है। उन्होंने कहा कि नहाय खाय के दिन व्रती कद्दू, लौकी और मूंग- चना का दाल बनाती है. जिसे सबसे पहले व्रती खाती हैं। फिर घर के सदस्यों को अन्य लोगों के बीच प्रसाद के रूप में इसे बांटा जाता है और ग्रहण किया जाता है। इस दिन भक्त घर और आसपास के परिसर की सफाई करते हैं। इस दिन व्रती केवल एक बार भोजन करते हैं।
कमलेश्वर मिश्रा ने कहा कि नहाय खाए के दिन कद्दू खाने का विशेष महत्व है। नहाए खाए के साथ छठ की शुरुआत होती है। पहले दिन गंगा स्नान करने के बाद कद्दू भात और साग खाया जाता है. बिहार-झारखंड की अगर बात करें तो बिहार में लौकी का प्रचलन है। छठ व्रती नहाय खाए कि दिन कद्दु का सेवन करते हैं। ऐसे में बाजारों में इसे लेकर कद्दू की डिमांड बढ़ जाती है। ऐसी मान्यता है सरसो का साग चावल और कद्दू खाकर छठ महापर्व की शुरूआत होती है। इसलिए व्रत के पहले दिन को नहाए खाए कहते हैं । इन दोनों सब्जियां पूरी तरह से सात्विक माना जाता है। इसमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने की क्षमता बढ़ती है. साथ ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अगर देखें तो कद्दू आसानी से पचने वाली सब्जी है।
उन्होंने कहा कि नहाए खाए के दिन खासतौर पर कद्दू की सब्जी बनायी जाती है. व्रत रखने वाले सबसे पहले इसे ग्रहण करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अलावा इसे खाने के कई सारे फायदे हैं । कद्दू में एंटी-ऑक्सीडेंट्स पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है। जिससे इम्यून सिस्टम स्ट्रांग होता है और व्रती बीमारियों से बचे रहते हैं। इसके अलावा, कद्दू में डाइटरी फाइबर भरपूर मात्रा पाया जाता है। इसके सेवन से पेट से जुड़ी समस्याएं दूर होती है। इसलिए छठ महापर्व के पहले दिन कद्दू भात खाया जाता है।नहाय-खाय के दिन से व्रती को साफ और नए कपड़े पहनने चाहिए। साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना जरूरी होता है । पूजा की वस्तु का गंदा होना अच्छा नहीं माना जाता। नहाय खाए से छठ का समापन होने तक व्रती को जमीन पर ही सोती है. व्रती जमीन पर चटाई या चादर बिछाकर सो सकते हैं। घर में तामसिक और मांसाहार वर्जित है. इसलिए इस दिन से पहले ही घर पर मौजूद ऐसी चीजों को बाहर कर देना चाहिए और घर को साफ-सुथरा कर देना चाहिए। मदिरा पान, धुम्रपान आदि न करें, किसी भी तरह की बुरी आदतों को करने से बचें।
छठ पूजा की क्या है मान्यता
मान्यताओं के अनुसार छठी मैया को सूर्य देव की बहन माना जाता है. इसलिए छठ पूजा के दौरान सूर्य की उपासना की जाती है,कहा जाता है कि सूर्य की पूजा करने से छठी मैया प्रसन्न होती हैं। छठ पूजा के इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में पूर्वांचल महासभा समिति के छठ पूजा समिति के अध्यक्ष विनोद त्रिपाठी ,महामंत्री ज्ञान प्रकाश पाण्डेय ,कोषाध्यक्ष राज तिवारी ,सहकोषाध्यक्ष रमेश पाण्डेय ,सचिव पंकज सिंह ,उपाध्यक्ष विवेक तिवारी ,ऐश्वर्य पांडेय , संकेश्वर सिंह ,वीके तिवारी ,वरुण शुक्ल ,रूप लाल यादव ,शशिभूषण पांडेय सहित सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने तैयारी और व्यवस्था बनाने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया ।