( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखण्ड में त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद राज्य की बागडोर अब तीरथ सिंह रावत के हाथो में है। ऐसे में वाजिब है नए मुख्यमंत्री का मंत्रिमण्डल भी नया होगा। तीरथ सिंह रावत के मुख्यमंत्री बनते ही इस विषय पर राजनैतिक गलियारों में चर्चा जोरो पर है। क्योकि नए मंत्रिमंडल कौन से चेहरे शामिल होंगे और पिछले मंत्रिमंडल में से किसको बहार का रास्ता दिखया जा सकता है। सभी को लेकर सस्पेंस बरक़रार है। इस सस्पेंस के बीच जहां कई विधायकों में मंत्री पद की आस जगी है, वहीं कई निवर्तमान मंत्री ऐसे भी हैं जिन्हें अपनी कुर्सी छिनने का डर सता रहा है। क्योकि निवर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मंत्रीमंडल में तीन मंत्री पद अंतिम समय तक खाली रहे। वही डेढ़ साल पहले वित्त मंत्री रहे प्रकाश पंत के निधन से खाली हुए पद को भी नहीं भरा गया। त्रिवेंद्र सरकार में शामिल नौ मंत्रियों में पांच मंत्री पद कांग्रेस से आए नेताओं पास थे। ऐसे में बदले राजनीतिक समीकरणों के बीच अब ये चर्चाएं जोरों पर हैं कि कांग्रेस से आए कुछ नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।
दूसरी तरफ राजनैतिक गलियारों से यह संकेत भी मिल रहे हैं कि जिन सीनियर नेताओं को त्रिवेंद्र सरकार में तरजीह नहीं मिली थी, उन्हें मंत्रीमंडल में शामिल किया जा सकता है। अर्थात आगामी चुनाव को देखते हुए संतुलन बनाये रखना भी जरुरी होगा। ऐेसे नेताओं में डीडीहाट विधानसभा से लगातार 5 बार विधायक रहे पूर्व बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफाल के साथ ही बागेश्वर के विधायक चंदन राम दास, बलबंत भोर्याल, चंद्रा पंत और रितू खंडूरी को मंत्रीमंडल में शामिल किए जाने की संभावनाएं प्रबल होती हैं। सीएम तीरथ सिंह रावत के सामने सबसे बड़ी चुनौती कुमाऊं और गढ़वाल मंडल के बीच संतुलन कायम करने के साथ ही जातीय समीकरणों को साधनेे की भी होगी।