( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव 2022 में देश के पहले CDS रहे स्व० जनरल विपिन रावत चुनावी समर में सभी राजनैतिक दलों के दुलारे बन गए। भाजपा ,कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने सीडीएस के नाम को हर पल भुनाने की कोशिश की।
आखिर में जब तीनों दलों के घोषणापत्र आए तो उनमें भी जनरल रावत को नहीं भूले। तीनों दलों ने ही उनके नाम से महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। अब दस मार्च को ही स्पष्ट होगा कि सीडीएस रावत के नाम का फायदा उठाने में कौन कामयाब रहा…
भाजपा ने अपने दृष्टिपत्र में सत्ता में दोबारा आने पर जनरल बिपिन सिंह रावत पूर्व सैनिक क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट स्थापित करने की घोषणा की है। इस ट्रस्ट के माध्यम से पांच लाख रुपये तक के ऋण के लिए पूर्व सैनिकों को 50 फीसदी की सीमा तक गारंटीकृत कवर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद सीडीएस बिपिन रावत को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। न केवल मोदी बल्कि भाजपा के दूसरे नेताओं ने भी सीडीएस रावत के नाम पर खूब सियासी चाल खेली।
कांग्रेस ने राहुल गांधी की परेड ग्राउंड में हुई रैली में सीडीएस रावत के बड़े कटआउट लगाए। पार्टी ने शहीद सम्मान यात्रा निकाली और प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल उनके गांव भी गए। कांग्रेस ने अब अपने उत्तराखंडी स्वाभिमान प्रतिज्ञा पत्र में सत्ता में आने पर सीडीएस बिपिन रावत के गांव तक सड़क पहुंचाने के साथ ही आसपास उनके नाम से कोई बड़ा शिक्षण संस्थान खोलने की घोषणा की है। कांग्रेस के नेता लगातार अपने चुनाव प्रचार में रावत के नाम को भुनाने की कोशिश करते नजर आए।
आम आदमी पार्टी ने भी सीडीएस बिपिन रावत को अपनी सियासत में पूरा सम्मान दिया है। आप ने जो वचनपत्र जारी किया है, उसमें सीडीएस बिपिन रावत के नाम से सेना में भर्ती का रास्ता तय करने की बात की है। आप ने वचनपत्र में कहा है कि सेना में भर्ती के लिए युवाओं को ट्रेनिंग देने के लिए जनरल बिपिन रावत आर्म्ड फोर्सेज प्रिपेटरी इंस्टीट्यूट की स्थापना की जाएगी। आम आदमी पार्टी भी लगातार सीडीएस रावत को लेकर काफी संजीदा नजर आई है।
चुनाव के शुरुआती समय में भाजपा ने सीडीएस बिपिन रावत के घर तक पहुंच बनाने की कोशिश की। सूत्रों के मुताबिक, पहले भाजपा ने उनकी बेटियों को प्रदेश की सियासत में उतारने की कोशिश की। इसके बाद उनके भाई कर्नल विजय रावत को पार्टी की सदस्यता दिलाई। बताया जाता है कि उन्हें चुनाव मैदान में उतरने का ऑफर भी दिया गया, लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इनकार कर दिया।
क्या है कारण:
उत्तराखंड में करीब दो लाख पूर्व सैनिक मतदाता हैं। हर चुनाव में भाजपा-कांग्रेस अपने-अपने तरीके से इन्हें रिझाने की कोशिशों में जुटी रहती हैं। इस बार पूर्व सैनिकों को रिझाने के लिए सीडीएस रावत सबसे बड़े माध्यम बने।