
( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
देहरादून। उत्तराखण्ड में ब्यूरोक्रेसी और मंत्रियो विवाद की खबरे अक्सर आती रहती है और अक्सर ये बाते भी सुनने और देखने को मिलती है कि अफसर ,मंत्रियो विधायकों को नहीं सुनते है। ऐसा ही विवाद पिछले महीने सितंबर में भी सामने आया था जब महिला बाल विकास विभाग में टेंडर में गड़बड़ी की बात सामने आई। फिर मंत्री रेखा आर्य और अपर सचिव षणमुगम और सचिव सौजन्या के बीच का विवाद सामने आया। दोनों तरफ से शिकायतें भी हुईं और मामले में राजनीति भी हुई। सवाल यह है कि यह मामला चुने हुए प्रतिनिधि बनाम आईएएस अफ़सर का है या एक मंत्री विशेष का ? इस बीच महिला और बाल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य के इस मामले में अड़ जाने के बाद सचिव पर गाज गिरी है।

आईएएस सौजन्या को महिला बाल विकास विभाग के सचिव के पद से हटा दिया गया है। अब यह विभाग का चार्ज अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार को सौंप दिया गया, जो इस मामले की जांच भी कर रही हैं। खास बात ये है कि अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने महिला बाल विकास विभाग का चार्ज लेने से मना कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक मनीषा पंवार ने उच्च स्तर पर अपनी बात रख दी है और माना जा रहा है कि जल्द कार्मिक विभाग किसी दूसरे अफ़सर के नाम का आदेश जारी कर सकता है।

विभाग की मंत्री का फ़ोन न उठाने वाले आईएएस षणमुगम अभी निदेशक बने हुए हैं। बता दें कि विवाद के बाद मंत्री रेखा आर्य ने 6 पेज की शिकायत मुख्य सचिव को भेजी थी जिसमें उन्होंने आईएएस सौजन्या और षणमुगम की शिकायत की थी। उधर सीएम की तरफ से जांच के आदेश दिए जाने और फिर मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद मंत्री रेखा आर्य ने चुप्पी साधी हुई है।

