( ब्यूरो ,न्यूज़ 1 हिन्दुस्तान )
टिहरी गढ़वाल। टिहरी में स्वस्थ्य विभाग की लाचारिया सामने आ रही है। एक कोरोना पॉजिटिव मरीज को कोविड हॉस्पिटल नरेंद्र बगैर रेफर तो कर दिया गया लेकिन डेढ़ घंटे तक उसे एम्बुलेंस नहीं मिल पाई। एम्बुलेंस की उम्मीद मरीज अस्पताल के बाहर सड़क पर बैठा रहा। इस पूरे मामले से यह समझना आसान है कि अस्पतालों में कोविड मरीजों के लिए व्यवस्था का आलम क्या है। टिहरी ज़िले में लगातार कोविड संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और माहौल दहशत का हो गया है। दावे तो स्वास्थ्य विभाग के ऐसे हैं कि सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त हैं, लेकिन विभाग की लापरवाहियां कोविड मरीजों पर भारी पड़ रही हैं। एक नज़र ज़रा ताज़ा हालात पर डालें तो पता चलता है कि कहां कहां दावे खोखले साबित हो रहे हैं।
हालत बिगड़ी और एंबुलेंस का इंतज़ार!
ताज़ा मामले के मुताबिक 3 मई को नरेन्द्रनगर के चाका से 52 वर्षीय गड्डूलाल सांस में तकलीफ होने की शिकायत पर नई टिहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कोविड टेस्ट कराने पहुंचे। वो कोविड पॉज़िटिव पाए गए। डॉक्टर ने उनकी बिगड़ती हालत को देखते हुए उन्हें नरेन्द्रनगर कोविड केयर हॉस्पिटल रेफर कर दिया। लेकिन एंबुलेंस नहीं होने के चलते कोविड मरीज़ को अस्पताल परिसर के पास ही सड़क पर बैठना पड़ा।
यही नहीं, मरीज़ के साथ उनका बेटा नीरज भी एंबुलेंस के इंतज़ार में एक घंटे से भी ज़्यादा सड़क पर बैठा रहा। पिता की बिगड़ती हालत देख डॉक्टरों के चक्कर लगाने पर नीरज को एंबुलेंस ड्राइवर का जो नंबर मिला, उस पर उसे जवाब यही मिलता रहा कि थोड़ी देर में एंबुलेंस पहुंचेगी।
फिर कागज़ी कार्रवाई में लेटलतीफी!
करीब डेढ़ घंटे बाद एंबुलेंस पहुंची तो भी तत्काल मरीज़ को मदद मिलना दूसरी बड़ी उलझन बना। नीरज की शिकायत के मुताबिक एंबुलेंस ड्राइवर ने मरीज़ को एंबुलेंस में तो बिठाया लेकिन कोविड केयर हॉस्पिटल नरेन्द्रनगर जाने की बजाय कागजात बनाने की बात कहता रहा।
नीरज ने बताया कि उनके पिता की हालत बिगड़ने और देर पर देर होने के बाद उसने गुहार लगाई तो सीएमओ डॉ. सुमन आर्य ने इस मामले में दखल दिया। इसके दो घंटे बाद एंबुलेंस रवाना की जा सकी।